इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट(ED) द्वारा दायर एक केस में सुनवाई करते हुए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट(PMLA) की चंडीगढ़ कोर्ट ने गुप्ता बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड(GBP) के डायरेक्टर्स के खिलाफ प्रोक्लामेशन की कार्रवाई शुरू कर दी है। इन डायरेक्टर्स में सतीश कुमार गुप्ता और प्रदीप कुमार गुप्ता शामिल हैं।
वहीं कोर्ट ने अन्य आरोपी रमन गुप्ता के गैर-जमानती वारंट जारी किए हैं। डायरेक्टर ऑफ इनफोर्समेंट दायर IPC की धारा 174 और PMLA की धारा 63 के तहत यह केस दायर किया गया था।
दायर शिकायत में कहा गया था कि ED ने PMLA की धारा 50 के तहत आरोपियों को दस्तावेज और बयान दर्ज करवाने के लिए कई समन जारी किए थे, मगर वह पेश नहीं हुए। ED ने कहा कि आरोपियों जानबूझकर समन जारी होने के बाद पेश नहीं हुए।
करोड़ों के घपले की जांच
बता दें कि ED गुप्ता बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग के आरोपों की जांच कर रही है। इसके खिलाफ कई लोगों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप हैं। इसने अपने प्रोजेक्ट्स के तहत रेजिडेंशियल फ्लैट्स उपलब्ध करवाने के नाम पर लोगों के साथ ठगी की। ठगी का शिकार हुए लोगों का कहना था कि न तो उन्हें फ्लैट का पोजेशन दिया गया और न ही उनकी रकम वापस की गई।
यहां शुरू किए थे प्रोजेक्ट्स
आरोपी डायरेक्टर्स लोगों को अपने प्रोजेक्ट्स की लुभावनी तस्वीरें दिखा उन्हें इन्वेस्ट करने को कहते थे। इसके बाद न तो उन्हें पोजेशन दिया और न ही उनकी रकम वापस की थी। इसके प्रोजेक्ट्स डेरा बस्सी, जीरकपुर, न्यू चंडीगढ़ एवं अन्य जगहों पर थे। यहां पर सैकड़ों लोगों ने इनके प्रोजेक्ट्स में लाखों रुपए इन्वेस्ट किए थे।
चारों भाइयों में से 3 का डेरा बस्सी में घर
4 भाइयों में से 3 आदर्श नगर, डेरा बस्सी (मोहाली) के रहने वाले हैं। इनमें सतीश गुप्ता, प्रदीप गुप्ता और रमन गुप्ता हैं। वहीं चौथा भाई अनुपम गुप्ता सेक्टर 48 सी चंडीगढ़ की सीनियर सिटीज़न सोसाइटी का निवासी है। बता दें कि पुलिस GBP के डायरेक्टर्स की प्रॉपर्टी को कानूनी धारा के तहत अटैच करने की प्रक्रिया भी शुरू कर रही है। बीते वर्ष फरवरी से कंपनी के चारों डायरेक्टर्स फरार हैं।
पंजाब और चंडीगढ़ में करोड़ों का चूना लगाया
GBP के डायरेक्टर्स के खिलाफ चंडीगढ़ समेत पंजाब में भी कई FIR दर्ज हैं। चंडीगढ़ पुलिस का आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इसके डायरेक्टर भाइयों की सूचना देने पर 50-50 हजार रुपए इनाम की घोषणा भी की हुई है। इनके खिलाफ दायर शिकायतों में लोगों का कहना है कि उन्होंने इसके प्रोजेक्ट्स में रेजिडेंशियल और कॉमर्शियल प्लाट्स के लिए इन्वेस्टमेंट की थी। हालांकि न तो उन्हें प्लाट दिए गए और न ही उनके लाखों रुपए वापस हुए।
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