अवैध रूप से नौकरी से निकालने, जल्द सैलरी देने, चंडीगढ़ डिपो के वर्करों को वापस लेने सहित अन्य मांगों को लेकर पनबस और पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन का धरना दूसरे दिन भी जारी रहा। वीरवार को सूबे में बरनाला छोड़ 22 जिलों में पनबस और पीआरटीसी की 3000 से ज्यादा बसें बंद रहीं। इस कारण दिनभर यात्री भीषण गर्मी के चलते परेशान रहे। शाम 5:00 बजे के बाद यह स्ट्राइक खत्म हुई और बसों को ऑन रोड किया गया।
यूनियन के उप प्रधान दलजीत सिंह ने बताया कि शुक्रवार को पंजाब ट्रांसपोर्ट सेक्टर के सहित डायरेक्टर स्टेट ट्रांसपोर्ट, डिप्टी डायरेक्टर, एमडी की यूनियन के 5 सदस्यों के साथ चंडीगढ़ में मीटिंग का समय देने के बाद ही स्ट्राइक खत्म की गई है। मीटिंग में अगली रणनीति तय की जाएगी। वीरवार को 18 रोडवेज डिपो में दोपहर 12 बजे के बाद चक्का जाम रहा। हालांकि कुछ जिलों में सुबह बसें चली लेकिन 12 बजे के बाद वो भी बंद हो गईं। बरनाला डिपो में बंद का कोई असर नहीं दिखा।
यूनियन की ये हैं प्रमुख मांगें
यूनियन का आरोप: विभाग के पास न सैलरी देने के पैसे हैं न ही बसों में डीजल डालने के
यूनियन प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार व विभाग की गलत नीतियों के कारण पीआरटीसी की हालत दयनीय हो गई है। विभाग के पास कर्मचारियों को वेतन तक देने के लिए पैसे नहीं हैं। डीजल, स्पेयर पार्ट और टिकट मशीनों के रोल भी समय पर नहीं लिए जा रहे हैं। सरकार पनबस की नई बसों को डिपो में खड़ा करके पुरानी बसों को चलाने का दबाव डाल रही है। उन्होंने कहा कर्मचारी पिछले 10 से 15 वर्षों से ठेकेदारी की दलदल में फंसे हुए हैं।
कहां कितनी बसें नहीं चलीं
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