पंजाब में साढ़े 3 माह बाद होने वाले विस चुनाव में कांग्रेस किसानों पर दांव नहीं छोड़ेगी। अब तक सारा फोकस केंद्र के कृषि सुधार कानूनों पर था। पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इनकी वापसी की घोषणा कर दी, जिसके बाद कांग्रेस ने तुरंत अपनी रणनीति भी बदल ली।
पहले सीएम चरणजीत चन्नी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके MSP पर गारंटी की मांग की। इसके लिए कृषि कानून रद्द होने के साथ नया एमएसपी कानून लाने को कहा। अब पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू ने इसे किसानों की लाइफलाइन बता दिया।
सिद्धू ने कहा कि MSP कृषि कानूनों से बड़ा मुद्दा है। यह भारतीय किसानों की लाइफलाइन है। अगर स्वामीनाथन कमीशन की C2 सिफारिश को मानकर वाकई केंद्र सरकार किसानों की इनकम डबल करना चाहती है तो इस मांग को जरूर पूरा करे।
किसान नेताओं का रुख देखते ही बदली रणनीति
कांग्रेस ने कृषि कानून वापस होते ही किसान नेताओं का रुख देखकर तुरंत रणनीति बदली। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अभी MSP पर कानून का बड़ा मुद्दा है। किसान की फसल कम दाम पर बिकती है, जिसे कांग्रेस ने लपकते हुए भुनाना शुरू कर दिया।
कांग्रेस से छिन गया था बड़ा मुद्दा
पंजाब चुनाव के लिए कांग्रेस के पास कृषि कानून बड़ा मुद्दा था, जिससे भाजपा सीधे किसानों के निशाने पर थी। अकाली दल को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था, क्योंकि कानून बनाते वक्त वह केंद्र सरकार में थे। बाद में उन्होंने इसकी तारीफ भी की थी। इसलिए कांग्रेस लगातार किसानों के समर्थन में डटी थी। अचानक कानून वापस होने से कांग्रेस के हाथों जीत का ट्रंप कार्ड छिन गया था।
टाइमिंग कांग्रेस के पक्ष में
कृषि कानून वापस होने से कांग्रेस को झटका जरूर लगा है, लेकिन पंजाब में इसकी टाइमिंग उन्हें रास आ सकती है। पंजाब में कुछ दिनों बाद चुनाव आचार संहिता लग सकती है। कानून वापसी के बाद तब तक भाजपा के पास इतना वक्त नहीं कि वे दोबारा किसानों तक पहुंच सकें। तब तक आंदोलन में मौतों का मामला भी ठंडा नहीं पड़ेगा। इसके उलट कांग्रेस मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी दे रही है। वहीं अब मेमोरियल का भी ऐलान हो चुका है। ऐसे में कांग्रेस के लिए केंद्र का फैसला फायदेमंद ही रहेगा।
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