पंजाब राज्य उपभोक्ता आयोग ने एक मामले में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की उस अर्जी को मंजूर कर लिया है, जिसमें 808 दिनों की देरी से दायर अपील केस में सफाई पेश की गई थी। कंपनी ने गुरदासपुर के जिला उपभोक्ता आयोग के 4 फरवरी, 2020 के फैसले को रद्द करने की मांग की थी।
नेशनल इंश्योरेंस की गुरदासपुर शाखा ने गुरदासपुर के बलदेव राज पराशर और चंडीगढ़ की इंडस्ट्रियल एरिया, फेज 2 स्थित विपुल मेड कोर्प TRA प्राइवेट लिमिटेड को अपील केस में पार्टी बनाया था। अपीलकर्ता इंश्योरेंस कंपनी को गुरदासपुर के उपभोक्ता आयोग ने मामले में एक्स-पार्टे घोषित करते हुए अपना फैसला दिया था।
राज्य उपभोक्ता आयोग ने अपील केस में देरी के कारण बताती अर्जी का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट्स का हवाला दिया। इसमें कहा गया था कि केसों को मेरिट के आधार पर सुना जाना चाहिए और प्रारंभिक स्टेज पर ही उस पर फैसला नहीं दे देना देना चाहिए। ऐसे में इंश्योरेंस कंपनी की देरी से अपील दायर करने की अर्जी को 10 हजार रुपए कॉस्ट के साथ मंजूर कर लिया।
वकील ने गलत तारीख नोट कर ली थी
रिविजन पिटीशन (अपील) केस दायर करने में 808 दिनों की देरी पर इंश्योरेंस कंपनी ने सफाई देते हुए अर्जी भी दायर की थी। कहा गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा मामले में उसे समन जारी किए जाने पर उनकी तरफ से काउंसिल पेश हुआ था। इसके बावजूद एक्स-पार्टे कर दिया गया। हालांकि जिस तारीख पर काउंसिल पेश हुआ प्रिजाइडिंग अफसर और मेंबर नहीं थे। मामले में सुनवाई नहीं हो सकी थी।
ऐसे में केस की सुनवाई 4 फरवरी, 2020 के लिए स्थगित कर दी गई। हालांकि कंपनी के वकील ने सुनवाई 4 की जगह 10 फरवरी नोट कर ली थी। जब वह 10 तारीख को पेश हुआ तो उसे बताया गया कि इंश्योरेंस कंपनी को मामले में 4 फरवरी को काउंसिल के पेश न होने पर एक्स-पार्टे कर दिया गया था। इसके बाद कोरोना महामारी के चलते कोर्ट का काम बंद हो गया था। इसके बाद 24 दिसंबर, 2010 को अर्जी दायर कर एक्स-पार्टे के आदेश रद्द करने की मांग की गई थी। इसका 8 जून, 2020 को निपटारा कर दिया गया। इसके तुरंत बाद मामले में अपील दायर की गई। ऐसे में 808 दिनों की देरी हुई।
अपील में देरी पर शिकायतकर्ता को 5 हजार हर्जाना
आयोग ने मुख्य अपील मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि मामले में 4 फरवरी, 2020 के एक्स-पार्टे के आदेश रद्द करने से मामले में प्रतिवादी/शिकायतकर्ता पर कोई गलत/हानिकारक प्रभाव नहीं पहुंचेगा और प्रतिवादी/शिकायतकर्ता को इस अपील केस में देरी के बदले हर्जाना दे दिया जाए।
आयोग ने अपील केस को 5 हजार रुपए कॉस्ट के साथ मंजूर कर लिया। यह कॉस्ट हर्जाने के रूप में मुख्य मामले में शिकायतकर्ता को जाएगी। वहीं अपीलकर्ता जिला उपभोक्ता आयोग में 10 नवंबर को अपने साक्ष्य और लिखित बयान दर्ज करवाएगा। वहीं निचले आयोग को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि दोनों कॉस्ट इंश्योरेंस कंपनी भर दे और उसकी तरफ से लिखित बयान और साक्ष्य पेश कर दिए जाए।
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