चंडीगढ़ की BJP सांसद किरण खेर ने 1975 में लगाई गई इमरजेंसी को लेकर सोशल मीडिया (ट्वीटर) पर एक फोटो शेयर की। किरण खेर ने इसमें इमरजेंसी को भारतीय लोकतंत्र और राजनीति का काला अध्याय बताते हुए इसके विरोध में उठी हर आवाज़ को नमन किया। अपने इसी ट्वीट की वजह से कई लोगों ने किरण खेर को ट्रोल करना शुरू कर दिया। एक यूजर ने उन्हें टैग करते हुए लिखा कि भारतीय लोकतंत्र और राजनीति का सबसे काला अध्याय 'कृषि कानून' हैं। इसके विरोध में उठी हर आवाज़ को सादर नमन।
खेर ने ट्वीटर के अलावा अपने फेसबुक अकाउंट पर भी इमरजेंसी से जुड़ी एक तस्वीर शेयर की। इस पर एक यूजर ने लिखा- इमरजेंसी 1975 में नहीं लगी, इमरजेंसी तो लगा 2014 से, जिसमें 2 जजों की हत्या, वरिष्ठ पत्रकारों की हत्या, सरकार से सवाल करने वालों को जेल, नौकरियां खत्म, सरकारी सम्पति की सेल, भाजपाइयों का भ्रष्टाचार,फौज निजी, लोग गुलाम।
बता दें कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर देश के तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने देश की आतंरिक स्थिति बिगड़ने का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में इमरजेंसी लगा दी थी। यह इमरजेंसी 21 मार्च 1977 तक चली। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरमेंसी की घोषणा की थी।
दो दिन पहले खेर को यूजर्स ने बताया था 'अंधभक्त'
बीती 23 जून को ही चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए एक फोटो शेयर की थी। खेर ने लिखा था कि राष्ट्रीय एकता व अखंडता के पर्याय, महान शिक्षाविद, प्रखर राष्ट्रवादी और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि।
उनके इस ट्वीट के जवाब में एक यूजर ने लिखा कि क्या इन्होंने राष्ट्रीय एकता या अखंडता के लिए कुछ किया? ज़रा हमें भी बताएं अंधभक्त मैडम।
बता दें कि किरण खेर वर्ष 2014 और 2019 में दो बार चंडीगढ़ की सांसद चुनी गईं। कुछ समय से वह चंडीगढ़ में एक्टिव हैं। इससे पहले उनका ज्यादातर समय मुंबई में शूटिंग वगैरह में बीता। चंडीगढ़ के लोगों ने तब किरण खेर की गैरमौजूदगी को लेकर कई तरह के मीम्स बनाए थे।
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