भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बुधवार को 250 साल पुराने सुई गांव में पहुंचे। टूरिज्म हब के तौर पर विकसित हो रहा यह आधुनिक सुविधाओं वाला यह आदर्श गांव जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर है। आसपास के इलाके में ऐसा सुंदर गांव नहीं है। वर्तमान में मुंबई में रहने वाले गांव सुई के किशन जिंदल की बदौलत यह संभव हुआ है।
किशन जिंदल के पिता परमेश्वर जिंदल गांव में ही खेतीबाड़ी करते थे। उनकी आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी। किशन जिंदल की मां महादेई की मौत के बाद 1962 में गांव सुई से किशन जिंदल 100 रुपए उधार लेकर मुंबई गए थे। मुंबई में उनका काम ऐसा चला कि कुछ ही साल में वह प्रसिद्ध उद्योगपति बन गए। अब अपने गांव पर कई करोड़ रुपये खर्च कर इसे आदर्श गांव बना रहे हैं। किशन जिंदल साल में एक बार अपनी कुलदेवी की पूजा के लिए मुबंई से यहां जरूर पहुंचते हैं।
टूरिस्ट हब बनकर उबरा गांव सुई
गांव सुई में 900 परिवार हैं और इसकी जनसंख्या 5500 के करीब है। आदर्श गांव को उद्योगपति किशन जिंदल ने गोद ले रखा है। जिंदल ने अपनी मां महादेई के नाम पर इस गांव में पार्क बनवाया है। गांव सुई क्षेत्र में टूरिस्ट हब बनकर उभर रहा है। गांव में कुल आठ छोटे-बड़े पार्क हैं। एक बड़ा ऑडिटोरियम है, जिसमें 500 लोगों के एक साथ बैठने की व्यवस्था है। गोद लेने के बाद किशन जिंदल इस गांव पर अब तक 25 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर चुके हैं। गांव में आरओ सिस्टम लगाने का काम जारी है। बरसात का पानी इक्ट्ठा करने के बाद शुद्ध करके इसे सप्लाई किया जाएगा।
100 करोड़ से बनेगा बड़ा अस्पताल
गांव का सरकारी स्कूल आधुनिक सुविधाओं वाली साइंस लैब से युक्त है। कभी स्कूल टूटा-फूटा होता था। गांव का मुख्य व्यवसाय पशु पालन है। सरकारी इमारतों का पुनर्निर्माण करवाया गया है। ग्रामीण सुमेर सिंह ने बताया कि आदर्श गांव की गलियां खराब थीं। आने-जाने का रास्ता नहीं था। अब नई गलियां बन चुकी हैं। किशन जिंदल ने गांव में हरियाली के लिए पार्क और झील बनवाई। गांव की जोहड़ी को डेवल्प कर झील बनाया। झील में बोट की भी व्यवस्था है। गांव के बलबीर सिंह का कहना है कि कोरोना के कारण विकास कार्य रुक गया था। 100 करोड़ रुपये की लागत से बड़ा अस्पताल बनाने की योजना है।
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