पंजाब यूनिवर्सिटी से यौन शोषण के आरोप में बर्खास्त असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कोमल सिंह (46) का रविवार को पीयू के मकान में संदिग्ध हालात में शव मिला था। जिनका सोमवार को पोस्टमार्टम कराया जाएगा। जिसके बाद शव परिजनों को सौंपा जाएगा। बता दें कि पुलिस ने मृतक परिजनों को मामले की सूचना दे दी है। परिवार वाले चंडीगढ़ पहुंच गए हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही साफ हो पाएगा कि प्रोफेसर की हत्या कि गई है या फिर आत्महत्या है।
वहीं पुलिस की शुरूआती जांच में शव करीब 5 से 6 दिन पुराना बताया जा रहा है। उनके माथे पर चोट का निशान भी था। आशंका है कि बेड से नीचे गिरने के चलते उनकी मौत हुई है। मामले में सेक्टर-11 थाना पुलिस ने सीआरपीसी 174 के तहत मामले की जांच शुरू कर दी है। बता दें कि साल 2015 में डॉ. कोमल पर यौन शोषण का आरोप लगा था। इसके बाद विभाग ने उन्हें मई 2018 में बर्खास्त कर दिया था।
क्या है पूरा मामला
रविवार को पुलिस को सूचना मिली कि पंजाब यूनिवर्सिटी के कैंपस के मकान नंबर-114 ईवन से तेज बदबू आ रही है। पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कोमल सिंह जमीन पर पड़े थे। उनके माथे से निकला खून बहकर सूख चुका था। उन्हें जीएमएसएच-16 ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। घटनास्थल से सुसाइड नोट नहीं मिला। शव को जीएमएसएच-16 के शवगृह में रखवाकर सूचना परिजनों को दे दी है।
छोड़ गए बेटी और बेटा
डॉ. कोमल मूल रूप से लुधियाना के रहने वाले थे। पत्नी से तलाक हो चुका है और वह विदेश में रहती हैं। एक बेटी( 14) और एक बेटा (15) हैं। वह पिछले कई साल से पीयू के कैंपस में अकेले रहते थे।पुलिस के मुताबिक, करीब 10 दिन पहले उन्होंने पड़ोसी से पीने के लिए पानी की बोतल भी मांगी थी। इसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि उनकी मौत करीब 5 से 6 दिन पहले हुई होगी।आशंका यह भी है कि बेड से गिरने, हार्ट अटैक या किसी अन्य कारणों से कोमल की मौत हुई होगी।
सीनेटरों ने डॉ. कोमल का शोषण किया
पीयू के पूर्व सीनेटर एवं यूआईएलएस विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अजय रंगा ने कहा कि डॉ. कोमल का शोषण किया गया है। वह दोषी नहीं थे लेकिन कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के कारण उन्हें पीयू सीनेट में बर्खास्त करवाया। सीनेट ने उनके साथ गलत किया।पीयू कैलेंडर के मुताबिक वह कार्रवाई से बच गए थे। सीनेट में उनके खिलाफ वोटिंग भी हुई थी पर कार्रवाई नहीं बनती थी। उन पर कार्रवाई करने के लिए फिर प्रस्ताव लाया गया। सीनेट में कुछ लोगों ने हाथ खड़े करके उनके खिलाफ बहुमत सिद्ध करने का काम किया और उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
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