चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव की घोषणा पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 23 नवंबर तक रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को जनसंख्या से जुड़ा आंकड़ा और हलफनामा सौंपने का आदेश दिया है। इससे पहले निगम चुनाव को लेकर यूटी प्रशासन आज जवाब दाखिल नहीं कर सका। वहीं हाईकोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाई और सुनवाई ढाई बजे तक स्थगित कर दी थी। हाईकोर्ट ने बुधवार सुबह चुनाव घोषणा पर लगी रोक को दोपहर में हटा दी थी। हाईकोर्ट ने जल्द सुनवाई की अर्जी भी मंजूर करते हुए आज मुख्य याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया। हाईकोर्ट ने रोक का आदेश वार्ड आरक्षित करने को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग करने वाली याचिका पर दिया था।
बता दें कि चंडीगढ़ नगर निगम में विभिन्न वार्डों में आरक्षण का पेंच अभी फंसा हुआ है। शिरोमणि अकाली दल के महासचिव शिव कुमार और आम आदमी पार्टी के नेता शकील मोहम्मद ने वार्ड आरक्षित करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की अर्जी भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। हाईकोर्ट में इस याचिका में तर्क दिया गया है कि 2011 से 2021 के बीच कई कॉलोनियों को तोड़ा और हटाया गया है। कई कॉलोनियां ऐसी भी हैं, जो अस्तित्व में नहीं हैं। वार्ड आरक्षित करते समय ऐसी कॉलोनियों की जनसंख्या को आधार बनाया गया है।
चुनाव की घोषणा से पहले सुनवाई की अपील
याची ने हाईकोर्ट में कहा कि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा से पहले उनकी याचिका पर सुनवाई हो। हाईकोर्ट ने इस पर चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि 23 नवंबर तक चुनाव घोषित न किए जाएं। हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान कांग्रेस पार्षद और नगर निगम में विपक्ष के नेता देवेंदर सिंह बबला ने भी पक्ष बनने की अर्जी दाखिल की। हाईकोर्ट ने अर्जी मंजूर करते हुए उन्हें केस में शामिल कर लिया। याची ने कहा कि उन्हें आरटीआई में एरिया के अनुसार मांगी जानकारी नही दी गई है। वार्ड के अनुसार जानकारी दी गई।
2011 की जनसंख्या को आधार बनाकर वार्ड आरक्षित कैसे किए जा सकते हैं। वार्ड 7, 16, 19, 24, 26, 28 व 31 को इसी आधार पर आरक्षित रखने का फैसला लिया गया है। हाईकोर्ट से अपील की गई कि वार्ड आरक्षित करने के चुनाव आयोग के 19 अक्टूबर के फैसले को खारिज किया जाए। साथ ही आरक्षण के लिए जनगणना को ध्यान में रखते हुए जो कॉलोनी मौजूद नहीं हैं, उनकी जनसंख्या को हटाकर देखा जाए कि वार्ड आरक्षित होना है या नहीं। साथ ही याचिका लंबित रहते वार्ड आरक्षित करने के फैसले पर रोक लगाई जाए।
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