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कृषि कानून के विरोध में किसान नेताओं ने शनिवार काे चक्का जाम कर दिया। इस दैारान देहर काे तीन घंटे तक चंडीमंदिर टोल प्लाजा भी बंद रहा। मिट्टी के भरे हुए टिपरों काे सड़क के बीच में खड़ा कर दिया था। इसके बाद चक्का जाम में शामिल लाेगाें ने सिर्फ एंबुलेंस काे ही आने जाने दिया और बाकी के सभी वाहनाें काे राेक लिया।
टोल प्लाजा बंद हाेने से पंचकूला और पिंजाैर की सड़काें पर लंबा जाम लग गया। पुलिस को ट्रैफिक काे कंट्राेल करने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। किसानों ने पिंजौर से लेकर चंडीमंदिर टोल प्लाजा तक तीन जगह नाके लगा रखे थे, जिसका असर जीरकपुर-शिमला हाईवे पर भी देखने को मिला। हाईवे पर एचएमटी के पास तीन-चार लोडिड टिप्पर खड़े कर रोड बंद दिया। जिन्हें बाद में हटा दिया गया।
पुलिस ने पहले से कर रखी थी तैयारी
सुबह से किसानों को शांतिपूर्वक रहने के लिए कहा गया था। नाकों पर बुजुर्ग किसानों को तैनात रहने के लिए कहा गया ताकि वे शांति से लोगों को समझा सकें। किसी भी एबुलेंस, स्कूल बस, आर्मी व्हीकल या ऐसे वाहन को नहीं रोका गया जिसमें कोई बीमार हो। इन वाहनों को सभी ने मिलकर निकलवाया, इसमें बिना किसी रूकावट के एेसे जरूरतमंद लाेगाें जाने दिया।
- मुकेश जाखड़, एसीपी कालका
एबुलेंस, स्कूल बसें, आर्मी व्हीकल काे नहीं राेका
किसानाें का चक्का जाम पूरी तरह से सफल रहा। चक्का जाम के दौरान एबुलेंस, स्कूल बसें, आर्मी के वाहन व उन निजी वाहनों को भी नहीं रोका गया। इसमें पुलिस व प्रशासन ने भी सहयोग दिया। हमारा मकसद लाेगाें काे तीनों काले कानूनाें की जानकारी देना था। हमारी ओर से भी पुलिस के साथ बुद्धिजीवियाें काे लगाया हुअा था, जिससे न ताे किसी बीमार व्यक्ति को राेका गया और न ही किसी स्कूली बस काे।
- कर्म सिंह, ब्लाक प्रधान, किसान यूनियन
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