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हिमालयन एक्सप्रेस-वे की लचर प्लानिंग को अब सुधारने का काम किया जा रहा है। 27.5 किलोमीटर के इस एक्सप्रेस-वे में एक नहीं, कई खामियां हैं। जो डेढ़ दशक पहले इसके निर्माण के दौरान इंजीनियर को नजर नहीं आई। पंजाब, हरियाणा और हिमाचल तीन प्रदेशों में बने इस एक्सप्रेस-वे से जीरकपुर-पंचकूला-परवाणु को जोड़ा गया।
इन तीनों ही शहरों में इन एक्सप्रेस-वे की गलत प्लानिंग का आज भी पब्लिक खामियाजा भुगत रही है। जीरकपुर में अब इसमें सुधार करने का काम किया जा रहा है। यहां बलटाना के वधावा नगर के सामने सर्विस लेन से मेन हाईवे पर निकलने के लिए कट देने का काम किया गया। इस कट के लगने से यहां रॉन्ग साइड हाईवे पर निकलने वालों को रॉन्ग साइड नहीं जाना पड़ेगा।
जीरकपुर में अब सुधार करने की कोशिश, पर फायदा ज्यादा नहीं होगा
बुधवार को यहां जीरकपुर परवाणू एक्सप्रेस-वे पर यहां बलटाना के वधावा नगर के सामने एक कट दिया गया। यह कट बलटाना के लोगों को परवाणू की तरफ जाने के लिए दिया गया। इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण के दौरान यहां कट नहीं दिया गया था।
आगे रेल लाइन के ऊपर बने आरओबी के लिए होटल शगुन से पहले ही सर्विस लेन को हाईवे से अलग कर दिया गया था। करीब 500 मीटर तक सर्विस लेन पर लोग रॉन्ग साइड जाने के बाद ही परवाणू एक्सप्रेस-वे पर चढ़ पाते थे। लोगों को रॉन्ग साइड चलने से रोकने के लिए यहां यह कट दिया गया।
अब बिना रॉन्ग साइड चले ही वधावा नगर समेत एक दर्जन से अधिक कॉलोनियों के लोग परवाणू हाईवे पर चढ़ सकेंगे। यह गलती इस एक्सप्रेस-वे के बनाने के दौरान की गई। उस समय इंजीनियर ने भविष्य को लेकर बढ़ते ट्रैफिक और जनसंख्या के बारे में प्लान नहीं किया। अब सुधार करने की कोशिश की जा रही है पर इसका फायदा ज्यादा कुछ होने वाला नहीं है।
बिल्डिंग के आगे की निशानदेही
जीरकपुर-परवाणू हिमालयन एक्सप्रेस-वे के नाम से बने इस फोरलेन की वाइडनिंग के लिए एक बार फिर एनएचएआई ने यहां जीरकपुर में कई बिल्डिंग्स के बाहर और बिल्डिंग्स पर पीले रंग से डिमार्केशन की है। बिल्डिंग मालिकों को भी कहा कि आपने हाईवे के दायरे में कब्जा किया है। कुछ ने तो यहां जगह खाली छोड़ी ही।
जगह का इस्तेमाल पार्किंग के रूप में किया जा रहा है। पर यहां कई बिल्डिंग्स भी सर्विस लेन के दायरे में आ रही हैं। इसलिए यहां बिल्डिंग्स को गिराने का भी काम किया जा सकता है। बिल्डिंग्स उन्हीं की गिरेंगी जिनके दरवाजे से बाहर निकलते ही सर्विस लेन हो। जिनके पास अभी भी सर्विस लेन के बाद पार्किंग या खाली जगह है, उनकी बिल्डिंग गिरने का खतरा नहीं है।
पंचकूला में भी गलत प्लानिंग से पब्लिक मुश्किल में
हिमालयन एक्सप्रेस-वे के निर्माण के दौरान ट्रैफिक को गति देने के लिए एनएचएआई की ओर से पंचकूला के सेक्टर 20 में अंडरपास बनाया गया। इस अंडरपास बनने से लोगांे को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जीरकपुर-परवाणू के हाईवे के निर्माण के बाद सेक्टर 20 जाने वाले लोगों को घंटों जाम का सामना करना पड़ता है।
इस एक्सप्रेस-वे में दूसरी बड़ी खामी यहां इस एक्सप्रेस-वे की गलत प्लानिंग का खामियाजा ममता एन्क्लेव, लक्ष्मी एन्क्लेव, ग्रीन सिटी और दूसरी ओर ढकोली के लोगों को भी उठाना पड़ रह है। यहां रेल ओवरब्रिज के आगे पंचकूला की तरह एक्सप्रेस-वे के निर्माण के दौरान एक अंडरपास बनाया गया। एनएचएआई की प्लानिंग थी कि इस अंडरपास से ढकोली के दोनों ओर के लोग आते-जाते रहेंगे। ममता एन्क्लेव में रहने वाली नीतू खुराना ने कहा कि उस समय इस एक्सप्रेस-वे को बनाने के दौरान बेहद खराब प्लानिंग की गई। इस अंडरपास के दोनों ओर एक्सीडेंट होने लगे। साल 2013 में ही इसे बंद करना पड़ा। अब यहां सिर्फ पैदल ही निकला जा सकता है। यहां ममता एन्क्लेव, ग्रीन सिटी, लक्ष्मी एन्क्लेव और ढकोली के लोगों को अब भी पंचकूला के सेक्टर 20 के अंडरपास से आना-जाना पड़ता है। ढकोली में ही इस एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर आने-जाने के लिए या तो रॉन्ग साइड चलना पड़ता है या पंचकूला से आना-जाना पड़ता है। इसको लेकर नीतूू खुराना ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को लिखा भी कि आरओबी के नीचे का अंडरपास पब्लिक के किसी काम का नहीं। इसलिए आगे सेखों बैंक्विट के पास ट्रैफिक लाइट्स लगाई जाएं ताकि पंजाब के लोग पंजाब एरिया में ही हाईवे के दोनों ओर आ जा सकें।
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