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जीरकपुर एमसी को हर साल यहां की पब्लिक से कई करोड़ का रेवेन्यू हासिल होता है। नक्शा फीस ही इतनी चुकानी पड़ती है कि एमसी को 50 करोड़ से ज्यादा की आमदनी होती है। इसी तरह अन्य स्रोतों से भी एमसी को मोटा रेवेन्यू मिलता है। दूसरी ओर, शहर की पब्लिक बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही है।
यहां पीरमुछल्ला, किशनपुरा और अन्य एरिया के लेागों ने कहा कि बारिश के कारण इन दिनाें सड़कों का जो हाल हो चुका है, वह किसी पिछड़े गांव में भी नहीं हाेता है। यहां सड़क ही नहीं, तमाम बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे जीरकपुर के लोगों की परेशानी पर नगर परिषद ध्यान नहीं दे रही है। लोगों का आरोप है कि शहर के नेताओं और नगर परिषद के अधिकारियों ने शहर की अनदेखी की है।
शहर में अवैध कब्जों की भरमार है। इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चहिए। नगर परिषद और जनता द्वारा पांच साल पहले चुने गए पार्षद चुप हैं। आबादी के हिसाब से यहां की सड़कें चौड़ी होनी चाहिए। अंजु चौधरी, बाॅलीवुड हाइट्स
शहर की सीवर लाइनें पुरानी हो चुकी हैं। यहां की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। नगर परिषद द्वारा नई कॉलानियों को लगातार मंजूरी दी जा रही है। इसके उलट सीवर तथा पानी सप्लाई की लाइनें सालों पुरानी हैं। - सोनिया शर्मा, त्रिशला होम्स
जीरकपुर में सड़कों को बनाने का काम चल रहा है। जो भी सड़क टूटती है, उसकी मरम्मत की जाती है। -संदीप तिवारी, ईओ, एमसी जीरकपुर
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