राजमाता देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय मेडिकल काॅलेज अंबिकापुर के पहले बैच के पास आउट के बाद इंटर्नशिप पूरा करने वाले 94 विद्यार्थियों को काॅलेज प्रबंधन ने शनिवार को ग्रेजुएशन-डे कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें स्वतंत्र डाॅक्टर का दर्जा दे दिया। अब ये स्वत्रंत डाॅक्टर बन गए हैं और कहीं भी प्रैक्टिस कर सकते हैं।
ये क्षण सभी डाॅक्टरों के लिए उत्सव से भरा था। फैकल्टी से लेकर डाॅक्टर बने विद्यार्थी रंग बिरंगे ड्रेस पहने अलग ही दिख रहे थे। डीएमई डाॅ. विष्णु दत्त व डीन डाॅ. रमणेश मूर्ति ने सभी को शपथ दिलाई। इसके बाद उन्हें प्रमाण पत्र व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर टापर रहे विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल प्रदान किया गया। काॅलेज के पहले बैच की छात्रा डाॅ. काजल चांडक कुल 9 गोल्ड मेडल लेकर टापर बनीं। यह बैच पहला है जिन्होंने पहली बार एक बड़ी महामारी में मरीजों के लिए अपनी सेवाएं दी हैं। डीएमई व डीन ने इसे विद्यार्थियों के लिए बड़ी उपलब्धि बताई।
हाथों में कैंडल लिए संवेदनशीलता व मरीज की गोपनीयता बनाने ली शपथ
डीएमई व डीन ने सभी 94 जूनियर डाॅक्टरों को मरीज के साथ संवेनशीलता से व्यवहार करने, उनकी गोपनीयता बनाए रखने, मधुर व्यवहार सहित अन्य मापदंड बनाए रखने शपथ दिलाई। सभी जूनियर डाॅक्टर हाथों में कैंडल लिए हुए थे और काले रंग का ड्रेस पहने हुए थे। डीएमई डाॅ. विष्णु दत्त ने कहा कि यह बैच कर्तव्य व मेहनत का परिचायक है। डीन डाॅ. मूर्ति ने कहा कि यहां से निकलने के बाद सभी डाॅक्टर समाज में चिकित्सा सेवा का एक नया आयाम पेश करें।
सुपर स्पेशलिटी सेंटर के लिए प्रस्ताव भेजने दिए सुझाव
ग्रेजुएशन-डे पर वर्चुअल कार्यक्रम में शामिल हुए डीएमई ने काॅलेज के रिजल्ट व यहां की व्यवस्था को जिक्र करते हुए कहा कि प्रबंधन अपने काॅलेज में सुपर स्पेशलिटी सेंटर शुरू करने शासन को प्रस्ताव भेजे। सेंटर शुरू होने से आने वाले समय में यहां के लोगों का काफी फायदा होगा।
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