नशे के खिलाफ युद्ध स्तर पर अभियान छेड़ने की पहल शहर के शबरी सेवा संस्थान ने की है। पूरे छत्तीसगढ़ का नशा मुक्त केंद्र चलाकर नशे की लत से परेशान युवकों व पुरुषों को उन्हें मुख्य धारा से जोड़कर उनका जीवन संवारा जा रहा है।,जिसमें प्रशासन भी उनका भरपूर सहयोग कर रही है। शबरी सेवा और समाज कल्याण विभाग के सहयोग से चलाए जाने वाला यह पहला नशा मुक्ति केंद्र हैं।
शहर के मिशन चौक स्थित नशा मुक्त सह उपचार केंद्र पिछले एक सालों से संचालित है, संस्था अभी तक लगभग 100 से अधिक नशे के आदी लोगों को ठीक कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम की है। नशा मुक्ति केंद्र के अधीक्षक अमित मिश्रा बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्यों से भी लोग यहां आकर अपनी जीवन शैली में सुधार लाने का प्रयास कर रहे हैं।
इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से नशे की लत से परेशान युवक के परिजन यहां छोड़कर जाते है। जहां उनका निशुल्क देखभाल, उचित उपचार, काउंसलिंग और भोजन दी जाती है। साथ ही पूरे दिन की दिनचर्या तय कर उन्हें उनका पालन कराया जाता है, जिससे वे नशे की लत से धीरे-धीरे उभरने लगते हैं। फिलहाल केन्द्र में 15 लोगों को ही रखने की जगह है।
सरगुजा संभाग में एक ही नशा मुक्ति केंद्र
प्रदेश सरकार की पहल के अनुसार सभी जिलों में युवाओं को नशे की लत से छुडाने के लिए निशुल्क नशा मुक्ति केंद्र खोला जाना था, लेकिन पूरे सरगुजा संभाग में मात्र एक ही नशा मुक्ति केंद्र खोला गया है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही सूरजपुर में केंद्र खोला जाएगा।
नशे की गिरफ्त में सबसे अधिक युवा
नशा मुक्ति केंद्र के काउंसलर ने बताया कि सबसे अधिक नशे के मामले 22 से 30 साल तक के युवाओं में देखे जा रहे हैं। सबसे अधिक युवा ही यहां नशा छोड़ने के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि नशे की गिरफ्त में युवाओं के आने का सबसे बड़ा कारण उन पर परिजनों की नजर न जाना और हर गली मोहल्ले में नशे का कारोबार होने से युवा नशे रुपी विनाश के गिरफ्त में आ जाते है, और चाह कर भी कई बार इस से बाहर नहीं आ पाते।
इन लोग हुए नशे से दूर
1. कोरबा से आए 20 वर्षीय चीर सागर पटेल तीन सालों से गांजे का आदी था, गांजा न मिलने पर वह बड़बड़ाने लगता था। परिजनों ने उसे नशा मुक्ति केन्द्र अंबिकापुर में एक महीने के लिए भर्ती कराया, जिसके बाद काउंसलर की और डॉक्टरों की देखरेख में चीर सागर लगभग ठीक हो गया है, और अभी वह शासकीय कॉलेज में दाखिला के लिए बीएड की तैयारी कर रहे हैं।
2. झारखंड के गढ़वा से आया 30 वर्षीय युवक हीरोइन और नशे की इंजेक्शन की लत से परेशान था, बिना नशा किए उनका पूरा शरीर कांपने लगता था, युवक ने स्वेच्छा से नशा मुक्ति केंद्र में दाखिला लिया और डेढ़ महीने के भीतर ही वह ठीक होने लगा, जिसके बाद परिजनों ने घर ले जाकर ठीक से उसकी देखभाल की जिससे उसकी हिरोइन की लत छूट गई। आज वह निजी कंपनी में काम करता है।
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