सूरजपुर जिले के घुई वन परिक्षेत्र में एक दंतैल हाथी की करंट लगने से मौत हो गई, वहीं ज़ब तक वन कर्मचारी नहीं पहुंचे थे, तब तक हाथी के लाश के साथ लोग फोटो खिंचाते रहे। एक महीने पहले भी सूरजपुर जिले में एक मादा हाथी की मौत हो गई, जबकि 7 साल में सूरजपुर जिले में 38 हाथियों की मौत हो चुकी है। घुई रेंज के पकनी गांव में हाथी का शव रविवार की सुबह ग्रामीणों ने देखा और इसकी जानकारी वन विभाग के कर्मचारियों को दी।
उसके बाद हाथी का शव मिलने की जानकारी पर फारेस्ट के अफ़सर व वेटनरी डाक्टर मौके पर पहुंचे। बताया गया है पकनी में जंगल में एक नाला है, उसके आसपास लोगों ने खेत बना लिया और यहां खेती करते हैं। यहां नाला में पंप लगाकर सिंचाई करते हैं। यहीं पर सिचाई पंप चलाने बिजली पोल से हुकिंग कर मोटे तार को बॉस के पोल के सहारे खेत तक ले जाया गया और इसी तार के सम्पर्क में आने से हाथी को करंट लगा। वहीं यह भी आशंका है कि फसलों को बचाने के लिए भी तार को बिछाया गया होगा। इससे मौके पर हाथी की मौत हो गई।
तरंगित तार से हाथी के शरीर में गहरा ज़ख्म हो गया था, वहीं सुबह ग्रामीण जंगल की तरफ गए तो हाथी का शव दिखा। डाक्टर महेंद्र पांडे ने बताया कि हाथी की मौत करेंट लगने से हुई है। बता दें कि घुई रेंज के धुमाडांड में ही 15 अक्टूबर को एक नीलगाय की करंट लगने से मौत हुई थी, लेकिन इस मामले में ठोस कार्यवाही नहीं हुई और मामला दबा दिया गया।
10 माह पहले भी सूरजपुर के दरहाेरा में करंट से हुई थी हाथी की मौत
19 जनवरी 2022 को सूरजपुर के ग्राम दरहोरा जंगल में हाइटेंशन तार काफी नीचे तक झुका हुआ था। उसी रास्ते से मादा हाथी जा रही थी। तभी करंट की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई थी। वहीं जलावन के लिए लकड़ी बीनने ग्रामीण जब जंगल में गए तो मादा हाथी को मृत अवस्था में देखा था। जिसके बाद तुरंत वन विभाग को सूचना दी गई थी।
हुकिंग से हाथी की मौत- आरोपी व बिजली कंपनी पर कार्रवाई के निर्देश
हाथी की मौत मामले में अब तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि हाथी की मौत होती है तो अवैध हुकिंग मामले में हुकिंग करने वाले के साथ बिजली कम्पनी पर कार्यवाही के निर्देश हैं लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। अफसरों का कहना है कि हुकिंग करने वाले के खिलाफ उसकी पहचान कर कार्यवाही की जाएगी।
हाथियों के संरक्षण के लिए अफसर और दफ्तर किसी काम के नहीं
सरगुजा क्षेत्र में हाथियों का रहवास क्षेत्र होने के कराण यहां एलिफेंट उप निदेशक, वाइल्ड लाइफ के सीएफ, साथ ही मैदानी अमला को गजराज वाहन, हाथी मित्र भी हैं, लेकिन इसके बाद भी हाथियों की लगातार मौत हो रही है। वहीं सबसे हैरानी की बात है कि वन विभाग को इतना सब कुछ होने के बाद भी मौत की खबर गांव वालों से मिलती है।
तैमोर पिंघला अभयारण्य में 6 माह पहले एक हाथी का मिला था शव
सूरजपुर जिले के तैमोर पिंघला अभयारण्य क्षेत्र के तुम्बीबारी जंगल में एक हाथी का शव 6 माह पहले मिला था । इसकी जानकारी ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों को दी थी। इसके बाद वन अफसर वेटनरी डॉक्टर के साथ मौके पर पहुंचे थे। जांच में हाथी के दोनों दांत गायब मिले थे।
तीन साल में प्रदेश में 50 हाथियों की और 225 लोगों की हुई मौत
प्रदेश में तीन साल में अब तक 50 हाथियों की मौत हो चुकी है। वहीं 225 लोगों की हाथियों के हमले से जान गई है। इसमें सबसे ज्यादा मौत सरगुजा संभाग में हुई है। अधिकांश मामलों में हाथियों की मौत इंसान व हाथियों के बीच होने वाला संघर्ष से हुई है।
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.