सरगुजा जिले में रासायनिक खादों की कालाबाजारी को लेकर कृषि विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप लगा है कि शहर के कुछ थोक व्यापारियों से उनकी साठगांठ है, जिससे कार्रवाई नहीं होती, जबकि कई बार वे शिकायत कर चुके हैं। सुमन सिकदार, सुजान बिंद का कहना है कि कोरोना काल से लेकर अब तक किसान खाद के लिए परेशान हैं, उर्वरक कंपनियों के अफसरों की मिलीभगत है।
इसकी वजह से अधिक रेट में बिक्री की जा रही है। इससे किसानों के सामने गंभीर संकट है। शिकायत में बताया गया है कि किस तरह उर्वरक बिक्री में पोस मशीन के माध्यम से गड़बड़ी की जा रही है। बताया गया है कि पोस मशीन में हमेशा खाद होना दिखाया जाता है, इसकी वजह से उर्वरक का रैक नहीं लगता है। इससे खाद की कमी बनी रहती है, जिसका लाभ थोक व्यापारी दोगुने दर पर बेचकर उठा रहें हैं। शिकायत पत्र में शंकर ट्रेडर्स, विजय ट्रेडर्स खाद दुकान का भी उल्लेख किया गया है और आरोप है कि इनके द्वारा अफसरों के संरक्षण में कालाबाजारी की जाती है। गड़बड़ी करने वाले दुकानदारों का लाइसेंस रद्द करने व अधिकारियों को तत्काल हटाने की मांग की गई है।
9 हजार टन यूरिया का समितियों द्वारा भेजा गया है डिमांड
सरगुजा जिले में इस साल 9 हजार टन यूरिया की डिमांड सरकारी समितियों ने भेजी है। वहीं इसका 60 प्रतिशत यूरिया निजी दुकानों में खपत होती है। एक अनुमान के मुताबिक 15 हजार टन यूरिया खेतों में हर साल डाला जाता है। अफसरों की सख्त निगरानी नहीं होने पर यूरिया की कालाबाजारी होती है और स्टॉक जाम कर दिया जाता है। अब तक जिले के सहकारी दुकानों के लिए तीन हजार टन से ज्यादा यूरिया की सप्लाई हो चुकी है। थोक व्यापारी फुटकर व्यापारियों को खुद 350 रुपए प्रति बोरी तक में बेच रहे हैं।
अफसर नहीं करते कार्रवाई इसलिए हो रही कालाबाजारी
किसानों को यूरिया 267 रुपए की बोरी को पिछले साल एक हजार रुपए प्रति बोरी के हिसाब से मजबूरी में खरीदना पड़ा था, इस साल भी 500 रुपए में बिक रही है। इसके बाद भी एक दुकान पर कार्रवाई नहीं हुई। चर्चा में व्यापारी बताते हैं कि उन्हें अफसरों को दुकान चलाने खर्चा देना पड़ता है तो यूरिया कंपनी यूरिया के साथ अपने दूसरे प्रोडक्ट हमें थमा देते हैं। इसे किसान नहीं लेना चाहता है जिसके कारण संबंधित प्रोडक्ट का रुपए जोड़कर वे खाद बेचते हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.