छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए बालोद जिले के दो डॉक्टरों के लाइसेंस कैंसिल कर दिए। दल्लीराजहरा के शहीद अस्पताल में इलाज के दौरान मरीज की मौत मामले में डॉक्टर शैबाल कुमार जाना और डॉक्टर सेनगुप्ता दीपांकर के लाइसेंस को 3 महीने के लिए निरस्त किया गया है।
आरोपी दोनों डॉक्टर दल्लीराजहरा के शहीद अस्पताल में पदस्थ हैं। डॉक्टर शैबाल जाना शहीद अस्पताल के प्रमुख हैं। अतिरिक्त अहर्ता निश्चेतना (additional qualification anesthesia) का पंजीयन छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में नहीं होने के कारण डॉक्टर शैबाल जाना और डॉ सेनगुप्ता दीपांकर दोषी पाए गए हैं। डॉ सेनगुप्ता दीपांकर और डॉ शैबाल जाना के पास एमबीबीएस की डिग्री तो है, लेकिन एनेस्थेसिया का पंजीयन नहीं होने के बावजूद वे इसके जरिए इलाज कर रहे थे। इसलिए दोनों का लाइसेंस 3 महीने के लिए कैंसिल हुआ है।
अब दोनों डॉक्टर 11 अक्टूबर से 10 जनवरी 2023 तक इलाज नहीं कर सकेंगे। यह आदेश छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसलिंग रायपुर के अध्यक्ष भीम सिंह ने जारी किया है। आदेश के अनुसार, 3 दिन के अंदर मेडिकल काउंसिल द्वारा जारी मूल पंजीयन प्रमाण पत्र जमा करने के निर्देश दिए हैं। शहर के वार्ड-12 चिखलकसा निवासी ठेकेदार आलोक माथुर की मौत 3 साल पहले हुई थी। वे 12 दिसंबर 2019 को शहीद अस्पताल में भर्ती हुए थे। उनका ऑपरेशन किया गया था।
ऑपरेशन के बाद मरीज को आया ही नहीं होश
डॉक्टरों ने कहा था कि उन्हें कुछ देर बाद होश आ जाएगा, लेकिन मरीज को होश आया ही नहीं। बल्कि बेहोशी में ही उनकी मौत हो गई थी। परिजनों ने शहीद अस्पताल के डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। मृतक के पिता शिरोमणि माथुर ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को भी पत्र लिखकर जांच की मांग की थी। बालोद जिले के कुछ निजी अस्पतालों के खिलाफ और भी शिकायतें हुई हैं, जिस पर छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल संज्ञान ले सकती है।
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