नावल टीचर्स क्रियेटिव फाउंडेशन ने धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत की पहचान को सहेजने के लिए किए जा रहे प्रयास पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। शिक्षिका रामकुमारी देवांगन कोरबा व राजगीत चित्रमाला राठी बालोद ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
नटीसीएफ अध्यक्ष अरुण कुमार साहू ने कहा कि हमारे स्थानीय पुरातात्विक स्मारक स्थापत्य विधा एवं मूर्तिकला वैभव के साक्षी हैं। हमें प्राचीन धरोहर संस्कृति के प्रति सम्मान एवं संरक्षण की जिम्मेदारी निभानी है, ताकि भावी पीढ़ी को अतीत की कला परंपरा के गौरव से परिचित कराया जा सके।
मुख्य अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक दुर्ग रामकुमार वर्मा ने बताया कि घुंघस राजा मंदिर देवकर में 16 सती स्तंभ स्मृति स्मारक बिखरे हुए हैं। यहां मंदिर के गर्भगृह में घिसे मुख वाली नृसिंह प्रतिमा है, जिसे स्थानीय लोग आदिवासी मिथक के नायक के रुप में मानते हैं। विशेष अतिथि अरमान अश्क ने कहा कि बालोद जिले में महापाषाणीय स्मारक करकाभाट का निर्माण काल 1000 वर्ष ईसा पूर्व माना गया है।
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