बालोद जिले में सतनामी समाज ने 18 दिसंबर को बाबा गुरु घासीदास जयंती के मौके पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में किसी भी जनप्रतिनिधि के आने पर पाबंदी लगाई है। यहां तक कि पहले सतनामी समाज ने कार्यक्रम के लिए मुख्य अतिथि के तौर पर संसदीय सचिव और विधायक कुंवर सिंह निषाद को निमंत्रण दिया था, लेकिन अब उन्हें पत्र लिखकर ये जानकारी दी गई है कि अब किसी भी जनप्रतिनिधि को नहीं बुलाया जाएगा, इसलिए वे भी इस कार्यक्रम में नहीं आएं।
गुंडरदेही विधायक एवं संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद को पहले अतिथि बनाकर और फिर फैसला वापस ले लेने पर उन्होंने भी बयान दिया है। कुंवर सिंह निषाद ने कहा कि समाज के निवेदन को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है, जबकि उन्होंने बहुत विनम्रतापूर्वक मना किया है।
उन्होंने कहा कि समाज ने आग्रह किया है कि उनके आरक्षण के मुद्दे पर सभी जनप्रतिनिधि उनका साथ दें। निषाद ने कहा कि अभी हमने आरक्षण विधेयक को पारित किया, जिसमें सर्व समाज और सर्व समुदाय के हित को ध्यान में रखा गया। इस विधेयक पर अब तक राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। हमने ओबीसी के लिए 27%, अनुसूचित जनजाति के लिए 32%, अनुसूचित जाति के लिए 13% और ईडब्ल्यूएस के लिए 4% आरक्षण विधेयक पारित किया है।
कुंवर सिंह निषाद ने कहा कि सतनामी समाज द्वारा हर साल 18 दिसंबर से लेकर गुरु पर्व के अवसर पर विभिन्न आयोजन किए जाते हैं, जिसमें नेता, मंत्री, विधायकों को भी बुलाया जाता है, लेकिन इस बार उनकी कुछ सामाजिक पाबंदियां हैं। इसे लेकर उन्होंने विधायकों को नहीं बुलाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि बहिष्कार और पाबंदी जैसे शब्द में अंतर समझना चाहिए। यह एक सामाजिक व्यवस्था है।
आरक्षण मामले में अब तक क्या-क्या हुआ है
कांकेर जिले में आया था ऐसा ही मामला
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में भी 5 महीने पहले कांग्रेस विधायक के बहिष्कार का मामला सामने आया था। अंतागढ़ से कांग्रेस विधायक अनूप नाग का नक्सलियों ने विरोध करते हुए बैनर-पोस्टर लगाया था। मेन रोड पर फेंके गए पर्चों में नक्सलियों ने विधायक को खदान मालिकों का एजेंट बताया था। साथ ही गांव में नहीं घुसने देने की चेतावनी दी थी। नक्सलियों ने विधायक के कार्यक्रमों का बहिष्कार करने की भी धमकी दी थी। सूचना मिलने पर पुलिस ने बैनर-पोस्टर जब्त कर लिए थे।
नक्सलियों ने परतापुर मार्ग और पीवी 43 के पास बैनर बांधे हुए थे। पखांजूर-कापसी मुख्य सड़क पर पर्चे भी फेंके हुए मिले थे। इस पर्चे और बैनर में लिखा था कि अनूप नाग आदिवासी विरोधी हैं, उससे दूर रहें, उसके कार्यक्रमों से दूर रहें। यह भी लिखा था कि पुलिस समर्थक अनूप नाग को गांव में घुसने न दें। यह सभी पोस्टर-बैनर नक्सलियों की उत्तर बस्तर डिविजनल कमेटी ने जारी किए थे।
बैनर में पूर्व विधायक का भी था नाम
इससे पहले पखांजूर-बांदे मुख्य मार्ग पर थाने से करीब 4 किमी की दूर पर दो बैनर बंधे मिले थे। इसमें अंतागढ़ विधायक अनूप नाग के कार्यक्रमों का बहिष्कार करने की बात लिखी थी। बैनर सोशल मीडिया पर वायरल हुए, तो पुलिस पहुंची थी, लेकिन तब तक वहां से सब हट चुका था। जांच के दौरान नदी किनारे कपड़ों की गठरी में 3 बैनर मिले थे। इनमें विधायक अनूप नाग के अलावा पूर्व विधायक विक्रम उसेंडी, भोजराज नाग और मंतू पवार के खिलाफ बातें लिखी थीं।
पहली बार सीधे लिखा था किसी विधायक का नाम
जिस रात बैनर टांगा गया था, उसकी अगली सुबह ही विधायक नाग पखांजूर मंडी में नवपदस्थ पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में पहुंचे थे। जिले में ऐसा पहली बार हुआ था, जब नक्सलियों ने सीधे किसी विधायक के नाम से बैनर बांधा था। इसके पहले तक बैनरों में केंद्र और राज्य सरकार के अलावा प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री के खिलाफ ही बातें लिखी जाती थीं। अनूप नाग विधायक बनने से पहले पुलिस में पदस्थ थे। रिटायरमेंट के बाद चुनाव लड़ विधायक बने।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.