जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने नयापारा निवासी मनीष दुबे की शिकायत पर भारतीय स्टेट बैंक को मानसिक पीड़ा और परेशानी के संबंध में 1 हजार रुपए क्षतिपूर्ति और 3 हजार रुपए परिवाद व्यय का भुगतान करने का आदेश दिया है। लगभग 2 साल बाद हुई सुनवाई में आयोग ने सेवा में कमी के मामले को आंशिक रूप से स्वीकार किया है।
मनीष दुबे ने भारतीय स्टेट बैंक के अपने खाते के माध्यम से एलआईसी प्रीमियम की राशि जमा करने के लिए एसआई कराया था ईसीएस के माध्यम से प्रीमियम की राशि की कटौती की जाती थी लेकिन खाता में पर्याप्त रकम होने के बावजूद बैंक ने जुलाई 2017 और जनवरी से लेकर अप्रैल 2019 तक एसआई फेल के नाम से कुल 1475 की राशि जबरन काट लिया है।
आवेदक ने इस मामले में बैंक से कई बार शिकायत की, कई चक्कर काटे लेकिन रकम वापस नहीं की गई। आवेदक ने बैंक को लापरवाही कई यह जिम्मेदार मानते हुए मानसिक पीड़ा एवं आर्थिक परेशानी की छतिपूर्ति के लिए आयोग से निवेदन किया।
बैंक ने अपने जवाब में कहा कि आवेदक के खाते में 10 जुलाई 2020 को राशि वापस कर दी गई है। ईसीएस के माध्यम से कटौती के संबंध में आवेदक ने इसे बंद करने का कोई आवेदन नहीं दिया था जिसके कारण कंप्यूटर स्वयं कटौती कर लेता था। इसलिए बैंक ने अपनी जवाबदारी से इनकार किया।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष ने दिए आदेश
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष योगेश चंद्र गुप्त और सदस्य आलोक कुमार दुबे ने आवेदक का परिवार आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कहा कि बैंक ने 1475 रुपए प्रदान कर दिए हैं और इसे आवेदक ने स्वीकार भी किया है। परिवादी मानसिक पीड़ा व परेशानी के लिए 1 हजार रुपए की राशि बैंक से लेने का अधिकारी है। आयोग ने अनावेदक बैंक को 3 हजार रुपए का परिवाद व्यय परिवादी को देने का आदेश दिया है।
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