छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में बस्तर की लोक संस्कृतियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए आसना में स्थापित बादल एकेडमी में प्रत्येक शनिवार को बादल मड़ई का आयोजन किया जाएगा। 25 जून को इसकी शुरुआत धुरवा संस्कृति पर आधारित मड़ई के साथ होगी। इसमें पहनावा, रहन-सहन, भाषा-बोली, नृत्य-संगीत, पूजा-पद्धति आदि परंपराओं का प्रदर्शन किया जाएगा। जिससे लोगों को बस्तर की विभिन्न संस्कृतियों के बारे में जानकारी मिल सके।
कलेक्टर रजत बंसल ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि, आमचो बस्तर हेरीटेज सोसायटी में बस्तर के विभिन्न जनजातीय समुदाय के सदस्यों को नामित करें। ये ऐसे लोग होने चाहिए जो बस्तर की विभिन्न जनजातीय परंपरा, साहित्य, लोकगीत-संगीत-नृत्य, चित्रकला, गोदना कला आदि में निपुण हों। साथ ही बादल एकेडमी में संचालित गतिविधियों और इसके विकास के संबंध में भी उन्होंने अधिकारियों से जानकारी मांगी है। कलेक्टर ने बताया कि, हर शनिवार को अलग-अलग जनजाति मड़ई का आयोजन किया जाएगा।।
यह होगा फायदा
दरअसल, इस तरह का आयोजन होने से आज की युवा पीढ़ी को सालों से चली आ रही परंपरा के बारे में जानकारी मिलेगा। प्रशासन का आसान तरीके से लोगों को संस्कृति के बारे में जानकारी देने का यह अनूठा तरीका है। अफसरों का कहना है कि, बस्तर में कई जनजातियां हैं, और उनकी अपनी एक अलग ही संस्कृति और परंपरा है। लेकिन, आज के आधुनिक युग में युवा पीढ़ी उन परंपराओं को भूलती जा रही है। यही वजह है कि, संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने के लिए इस तरह की पहल की जा रही है।
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