बस्तर में नक्सलियों के आर्थिक नाकेबंदी और दमन विरोधी सप्ताह को देखते हुए एक बार फिर पैसेंजर ट्रेनों के पहिए थम गए है। एक सप्ताह तक किरंदुल से विशाखापट्टनम तक चलने वाली दोनों पैसेंजर ट्रेन किरंदुल नहीं पहुंचेगी। ट्रेनों का अंतिम स्टॉपेज जगदलपुर ही होगा। यहीं से लौटेगी भी। इस बीच रेल मार्ग से विशाखापट्टनम या फिर ओडिशा जाने वालों को जगदलपुर से ही ट्रेन पकड़ी पड़ेगी। हालांकि, नक्सलियों के इस सप्ताह में मालगाड़ियों की आवाजाही बरकरार रहेगी। लेकिन, गीदम स्टेशन से किरंदुल स्टेशन तक रफ्तार धीमी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
दरअसल, बस्तर में माओवादी 26 जून से 2 जुलाई तक आर्थिक नाकेबंदी और दमन विरोधी सप्ताह मना रहे हैं। नक्सली अपने इस सप्ताह के दौरान बड़ी वारदातों को अंजाम देते हैं। किरंदुल-विशाखापट्टनम रेल मार्ग पर दंतेवाड़ा के बासनपुर-झिरका के घने जंगल में माओवादी ज्यादातर रेल पटरियों को उखाड़ ट्रेनों को डिरेल करते हैं। साल 2021 में भी इसी जगह माओवादियों ने एक यात्री ट्रेन को डिरेल किया था। हालांकि, रफ्तार कम होने की वजह से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ था। मालगाड़ियों को भी कई दफा अपना निशाना बना चुके हैं। साल 2022 में नक्सल दहशत और दूसरे कारणों से पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन करीब 42 दिन से ज्यादा बंद रहा है।
छुट्टियां मनाने और मेडिकल कामों ले लिए जाते हैं लोग
दरअसल, किरंदुल से विशाखापट्टनम के बीच 2 यात्री ट्रेनें चलती हैं। इनमें से एक दिन में चलने वाली किरंदुल-विशाखापट्टनम पैसेंजर ट्रेन तो वहीं दूसरी नाइट एक्सप्रेस ट्रेन है। इन दोनों ट्रेनों में बस्तर के सैकड़ों लोग सफर करते हैं। यह ट्रेन ओडिशा होते हुए विशाखापट्टनम पहुंचती है। ऐसे में ओडिशा के अरकू की खूबसूरत वादियों का आनंद और विशाखापट्टनम में बीच की सैर करने समेत मेडिकल कामों के लिए जाने वाले लोगों की संख्या अधिक होती है।
इस साल इतने दिन बंद रही ट्रेन
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