75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा में शामिल होकर आराध्य देवी मां दंतेश्वरी और मां मावली आज दंतेवाड़ा लौटेंगी। माता की डोली और छत्र को बस्तर राज परिवार समेत दशहरा समिति के सदस्यों ने विदाई दे दी है। इसी के साथ दशहरा पर्व का समापन भी हो गया है। बताया जा रहा है कि देर रात माता की डोली और छत्र का दंतेवाड़ा में आगमन होगा। इधर, भक्त माता के स्वागत की तैयारियों में जुट गए हैं।
बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने कहा कि, 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा में माता शामिल हुईं थीं और आज उन्हें ससम्मान विदाई दे दी गई हैं। जगदलपुर के मां दंतेश्वरी मंदिर परिसर से जिया डेरा तक डोली और छत्र को लाया गया। जिसके बाद जिया बाबा को ससम्मान सौंपा गया है। अब यहां से माता रानी दंतेवाड़ा जाएंगी। आज ही बस्तर दशहरा का विधिवत समापन हो गया है। उन्होंने बताया कि, यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
इधर, बस्तर के सांसद और दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि हर साल की तरह इस साल भी बड़े धूमधाम से दशहरा का पर्व मनाया गया। दूरदराज से लोग बस्तर दशहरा की भव्यता देखने के लिए पहुंचे थे। मावली परघाव की रस्म से लेकर भीतर और बाहर रैनी की रस्मों को लोगों ने बेहद करीब से देखा। उन्होंने कहा कि, मां दंतेश्वरी का आशीर्वाद बस्तर वासियों पर सदैव बना रहे।
फूलों से सजी सड़कें, जवानों ने दी सलामी
जिन-जिन जगहों से माता की डोली और छत्र को दंतेश्वरी मंदिर से जिया डेरा तक लाया गया। वहां की सड़कों को फूलों से सजाया गया था। इसके साथ ही जवानों ने हर्ष फायर कर सलामी भी दी। इस मौके पर शहर के सैकड़ों लोग मौजूद थे। दर्शन करने भक्तों का हुजूम उमड़ा। शारदीय नवरात्र की पंचमी को राजा ने माता को दशहरा में शामिल होने आमंत्रण दिया था। वहीं अष्टमी को माता जगदलपुर पहुंचीं थीं।
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