छ्त्तीसगढ़ के बस्तर में 27 अक्टूबर को माओवादी 'कश्मीर डे' मनाएंगे। इस दिन माओवादी किसी बड़ी घटना को अंजाम न दे सकें इसलिए यात्री ट्रेनों के परिचालन पर रोक लगा दी गई है। केके रेल लाइन पर चलने वाली किरंदुल-विशाखापट्टनम पैसेंजर और एक्सप्रेस यह दोनों ट्रेनें 25 अक्टूबर से 28 तक किरंदुल नहीं जाएगी। दोनों ट्रेनों का अंतिम स्टॉपेज दंतेवाड़ा स्टेशन ही होगा। हालांकि, मालगाड़ियों की किरंदुल से विशाखापट्टनम तक आवाजाही बरकरार रहेगी।
दरअसल, ईस्ट कोस्ट रेलवे के सीनियर कॉमर्शियल मैनेजर एके त्रिपाठी ने बताया कि, विशाखापट्टनम दोनों ट्रेनें दंतेवाड़ा आएगी, लेकिन इससे आगे किरंदुल नहीं जाएगी। उन्होंने बताया कि 25 से 28 अक्टूबर तक बैलाडीला के किरंदुल-बचेली के लिए रेलवे की सुविधा उपलब्ध नहीं रहेगी। इधर, लोगों का कहना है कि, जब मालगाड़ियों की आवाजाही रेलवे कर सकता है तो पैसेंजर ट्रेनों को क्यों रोक देते हैं? किरंदुल से विशाखापट्टनम और ओडिशा जाने वाले यात्रियों की संख्या भी अधिक होती है।
पहाड़ियों से घिरा है रेलवे ट्रैक, वारदात की होती है संभावना
दरअसल, किरंदुल-विशाखापट्टनम रेलवे मार्ग घने जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। दंतेवाड़ा से आगे बासनपुर और झिरका का इलाका नक्सलियों का कोर इलाका माना जाता है। नक्सली जब भी कोई दिवस मनाते हैं तो इसी जगह अधिकांश वारदात को अंजाम देते हैं। इसलिए रेलवे किरंदुल तक पैसेंजर ट्रेनों की आवजाही पर ब्रेक लगा देता है। हालांकि, कुछ महीने पहले तक जगदलपुर में ही यात्री ट्रेनें रोक ली जाती थी। लेकिन, लोगों की मांग के बाद दंतेवाड़ा अंतिम स्टॉपेज किया गया। दरअसल, इस रूट पर केवल 2 ही यात्री ट्रेन चलती है।
इस साल इतने दिन नहीं हुआ परिचालन
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