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नयापारा बालोद से जगन्नाथपुर चौक तक 10.40 किमी सड़क को संवारने का काम 13 साल बाद शुरू तो हो गया लेकिन धीमी रफ्तार से। वर्तमान में विभाग की ओर से अधिकृत निर्माण एजेंसी की ओर से सुंदरा-भोथली, ओरमा के पास पुलिया निर्माण की शुरुआत की गई है। इसके लिए एक स्थान पर गड्ढा खुदाई कर रूट डायवर्ट किया गया है। वहीं एक स्थान पर गड्ढा खोदा दा रहा है। लेकिन किसान आपत्ति कर रहे हैं कि सीमांकन कराने के बाद काम कराओ। इसलिए निर्माण कार्य की गति धीमी हो गई है। कार्ययोजना अनुसार जिला मुख्यालय बालोद-ओरमा से सुंदरा, जगन्नाथपुर चौक तक 10.40 किमी सड़क 9 मीटर चौड़ी होगी। जिसमें 6 मीटर में डामर बिछेगा। दोनों किनारे 1.75-1.75 कुल 3 मीटर का शोल्डर बनेगा। डामरीकरण व चौड़ा करने के पहले 35 बिजली पोल को हटाकर दूसरे स्थान पर व्यवस्थित किया जाना प्रस्तावित है। 6 स्थानों में पुलिया निर्माण होगा। हालांकि ग्रामीणों की ओर से अतिरिक्त पुलिया निर्माण की मांग की जा रही है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण जरूरी है। भोथली के सरपंच केशुराम गंधर्व ने बताया कि किसानों को उचित मुआवजा देकर जल्द काम चालू कराया जाए। इस संबंध में कुछ दिन पहले मैंने विभाग के अफसरों से चर्चा किया था। अफसर कह रहे हैं कि विभाग की ओर से किसी प्रकार की देरी नहीं हो रही है। किसानों का कहना है कि सीमांकन कराओ और उचित मुआवजा दिलाओ। अभी लोग परेशान हो रहे हैं। इस दिशा में विभागीय अफसरों और निर्माण एजेंसी को पहल करने की जरूरत है। फरवरी में शासन की ओर से 8.13 करोड़ रुपए की स्वीकृति हुई है। बारिश सीजन को छोड़कर एक साल में काम पूरा कराने का एग्रीमेंट हुआ है। धान फसल कटाई के बाद काम में तेजी आने के दावे अफसर व निर्माण एजेंसी कर रहे थे। लेकिन वर्तमान में स्थिति जस की तस है। निर्माण एजेंसी के इंजीनियर सीके डोंगरे ने बताया कि अफसर निरीक्षण कर रहे है। कुछ किसान कह रहे हैं कि लगानी जमीन है इसलिए सीमांकन कराओ। उन्होंने बताया कि सब कुछ क्लीयर होने के बाद काम में तेजी आएगी। इस संबंध में पीएमजीएसवाई के ईई सुनील नामदेव ने बताया कि राशि स्वीकृत होने के बाद काम शुरू हो गया है। वर्तमान में क्या समस्या आ रही है, पता करवाते हैं।
रेत से भरे वाहनों के कारण सड़क हो गई बदहाल
वर्तमान में सड़क खराब है। बड़े आकार के गड्ढे हो चुके हैं। नदी से रोजाना से रेत से भरी वाहनों का आना-जाना हो रहा है। सड़कों में पानी गिरने से फिसलन की स्थिति हो रही है। कुछ दिन पहले मेड़की के पास बाइक सवार युवक व महिला फिसलकर गिर गए थे। बावजूद कोई ध्यान नहीं दे रहा है। लिहाजा बालोद पहुंचने व घर जाने के दौरान मेड़की, बघमरा, ओरमा, खरथुली सहित 20 गांव के लोगों को परेशान होना पड़ रहा है।
लेटलतीफी का खामियाजा भुगत रहे क्षेत्र के ग्रामीण
गजेन्द्र, रोमेश, गौरव, बंटी ने बताया कि जान जोखिम में डालकर आना-जाना करना मजबूरी बन गई है। काम जल्द पूरा हो, तभी राहत मिलेगी। विभागीय लेटलतीफी का खामियाजा अब तक भुगतना पड़ रहा है। साइकिल, दोपहिया वाहनों से गुजरने वाले लोगों को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बड़ी गाड़ी गुजरने के दौरान एक किनारे खड़े होकर इंतजार करना पड़ना मजबूरी है, क्योंकि सड़क संकरी है।
2012 में 4 करोड़ स्वीकृत पर इस वजह से लैप्स
वर्ष 2012 में बालोद को जिला का दर्जा मिलने के बाद इस सड़क को संवारने के लिए चार करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली थी लेकिन स्वीकृत राशि दूसरे मद में परिवर्तित हो गई। तब यह सड़क पीडब्ल्यूडी के अधीन थी। शासन, प्रशासन, अफसरों की अनदेखी व विभागीय प्रक्रियाओं के फेर में मद परिवर्तन नहीं हो पाया। नतीजतन राशि लैप्स हो गई। अब तक लोगों को खराब सड़क पर चलना पड़ रहा है।
जनप्रतिनिधि भी कह रहे खराब सड़क से परेशानी
विधायक प्रतिनिधि कमलेश श्रीवास्तव, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष चंद्रेश हिरवानी, जनपद सदस्य सीता यशवंत साहू, भोथली के सरपंच केशुराम गंधर्व, ओरमा के सरपंच तेजराम साहू, बघमरा के सरपंच गजेंद्र ठाकुर ने बताया कि मेड़की- बघमरा-ओरमा-खरथुली, भोथली तक सड़क खराब हो चुकी है। लोगों को आने-जाने में विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। गड्ढों से परेशानी हो रहे है।
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