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जिले में दो साल पहले तक महज 70 महिलाएं ही मशरूम की खेती कर रही थीं। आज यह संख्या 780 से ज्यादा हो चुकी है। यह महिलाएं अब अपने परिवार का आर्थिक संबल बन रही हैं। इन्हें मशरूम का एक बैग बनाने में 40 रुपए खर्च आता है। इससे उन्हें 900 ग्राम से सवा किलो तक मशरूम मिलता है। प्रति किलो दो से ढाई सौ रुपए की दर से बेच रही हैं। हर सीजन में करीब 660 क्विंटल मशरूम का उत्पादन हो रहा है। इस प्रकार हर महिला महीने में 20 हजार रुपए से ज्यादा कमा रही हैं। इतना ही नहीं मशरूम की डिमांड पूरे जिले में है।
मशरूम क्वीन के रूप में यह महिलाएं उभरीं
अरसनारा, खोपली, उतई, बोरी, सुपेला, नगपुरा सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्र में मशरूम का उत्पादन हो रहा है। जिले समेत राज्य के अन्य स्थानों और होटलों में मशरूम की सप्लाई कर रही हैं, मशरूम कल्टीवेशन का प्रशिक्षण दे रही हैं। उन्हें स्वरोजगार के लिए तैयार भी कर रही हैं।
बटन मशरूम की ट्विनसिटी में अधिक मांग
मशरूम की कई तरह की प्रजातियां जैसे कि बटन मशरूम, ऑयस्टर, पैडी स्ट्रॉ, मिल्की मशरूम। महिलाओं को इसे उगाने की तकनीक बताई जाती हैं। ट्विनसिटी में बटन मशरूम की मांग अधिक है। आयस्टर मशरूम की खेती अधिक हो रही है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में इसकी मांग अधिक है। प्रशिक्षण लेकर दुर्ग जिले के कई महिलाओं ने इस खेती के रूप में अपनाया है।
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