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सेल में अब तक 77 अधिकारियों कर्मचारियों की कोरोना से मौत हो चुकी है। इनमें सबसे अधिक 57 मौत बीएसपी में हुई। जिसके बाद अब इस बीमारी को भी क्रिटिकल बीमारी की सूची में शामिल करने की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। बीते साल भर से देश के साथ साथ सेल प्रबंधन भी कोरोना महामारी से जूझ रहा है।
सितंबर से अब तक उसके 4641 अधिकारी कर्मचारी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 3740 कार्मिक तो बीमारी से रिकवर हो चुके हैं लेकिन 77 कार्मिकों का भाग्य उनके जैसा नहीं था। जबकि 824 कार्मिक अभी भी मौत को मात देने की जंग लड़ रहे हैं। ऐसी विकट स्थिति में कोरोना को भी अनुकंपा नियुक्ति वाली क्रिटिकल बीमारियों की सूची में शामिल किए जाने की मांग उठने लगी है ताकि मौत के बाद मृतक के परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति मिल सके। यूनियनों ने यह मांग प्रमुखता से प्रबंधन के सामने रखी है और इस पर कार्यवाही की गुहार लगाई है।
इस्पात संयंत्र अत्यावश्यक सेवाओं में शामिल
इस्पात संयंत्रों का संचालन अत्यावश्यक सेवाओं की सूची में शामिल है। यही वजह है कि क्षेत्र महामारी की चपेट में आने के बाद भी कार्मिकों को ड्यूटी करनी पड़ती है। ऐसे में उनके भी कोरोना की चपेट में आने की आशंका हमेशा बनी रहती है। सालभर से चल रही यह बीमारी अब स्थाई महामारी का रूप लेने लगी है। इसे देखते हुए संयंत्र के कर्मचारी अपने भविष्य व परिवार को लेकर चिंता में हैं।
मेंटेनेंस कार्य में सोशल डिस्टेंसिंग काफी मुश्किल
जानकार बताते हैं कि इस्पात संयंत्रों में ऑपरेशन के कार्य में सोशल डिस्टेंसिंग को काफी हद तक मेंटेन किया जा सकता है लेकिन मेंटेनेंस के कार्य में यह आसान नहीं है। क्योंकि मेंटेनेंस के कई कार्य ऐसे होते हैं, जिसमें एक से अधिक व्यक्ति की आवश्यकता होती है। खासतौर पर किसी भारी मशीनरी को कई कर्मचारियों को एक साथ उठाना पड़े तो इस दौरान दूरी का तो सवाल ही नहीं उठता।
बीएसपी में अधिक कर्मी इसलिए जोखिम भी ज्यादा
सेल में अधिकारियों कर्मचारियों की संख्या करीब 73000 है। इनमें सबसे अधिक करीब 19000 कार्मिक बीएसपी में कार्यरत हैं। जिसमें 2500 अधिकारी और 16500 कर्मचारी शामिल हैं। इसलिए यहां अन्य इकाइयों के मुकाबले कार्मिक अधिक जोखिम में काम कर रहे हैं। इसके अलावा 22 हजार ठेका कर्मचारियों को भी वर्तमान में काम करना पड़ रहा। उन्हें भी संक्रमण का खतरा है।
जानिए, मांग को लेकर यूनियनों की प्रतिक्रिया
कोरोना को क्रिटिकल बीमारी की सूची में शामिल करने प्रबंधन के साथ चर्चा चल रही है।
संजय साहू, कार्यकारी उपाध्यक्ष, इंटक
कोरोना को क्रिटिकल बीमारियों की सूची में शामिल करने प्रबंधन को पत्र लिखा गया है।
एसपी डे, महासचिव, सीटू
कोरोना स्थाई महामारी का रूप ले रही है, प्रबंधन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
दिनेश पांडेय, महासचिव, बीएमएस
कोरोना से जान गंवाने वाले कर्मियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति निशर्त दी जानी चाहिए।
प्रमोद कुमार मिश्रा, महासचिव, एमएचएमएस
कोरोना से मृत होने पर आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति देने क्रिटिकल बीमारियों की सूची रिवाइज हो।
राजेश अग्रवाल, महासचिव, इस्पात श्रमिक मंच
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