दुर्ग के 43 और रायपुर रेल मंडल के 93 इंजनों समेत दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 106 इंजनों में रियल टाइम इंफर्मेशन सिस्टम (आरटीईएस) लगाया गया है। इससे यात्रियों के ट्रेनों के लोकेशन की सटीक जानकारी मिल सकेगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की सहायता से सैटेलाइट आधारित डिवाइस से ट्रेनों के इंजनों को जोड़ा गया है। इससे ट्रेनों की रनिंग कंडिशन की जानकारी मिलेगी। इससे यात्रियों को ट्रेन के स्टेशन में आने की सही जानकारी मिल सकेगी। उन्हें लंबे समय तक ट्रेन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। साथ ही ट्रेनों के विलंब होने का कारण भी पता चल सकेगा।
सैटेलाइट से होगा ऑपरेट
इस तरह करता है यह पूरा ऑटोमेटिक सिस्टम काम
इसरो ने सैटेलाइट आधारित डिवाइस रेल इंजनों में लगाई है। यह जीपीएस के आधार पर ट्रेनों की गति को पढ़कर अपडेट जारी करती है। सैटेलाइट के जरिए ट्रेनों की ट्रैकिंग के लिए इंजनों में फिट डिवाइस से सेटेलाइट तक सूचनाएं जाती हैं। इसके जरिए ट्रेनों की एक-एक पल की लोकेशन सिस्टम में ऑटोमेटिक फीड होते रहती है। इससे लोकेशन पता चल सकेगा।
पहले स्टेशन के आधार पर मिलती थी जानकारी
अभी तक ट्रेनों की जानकारी स्टेशन से स्टेशन के आधार पर मिलती थी। बीच के लोकेशन औसत चाल के हिसाब से गणना के आधार पर अपडेट की जाती रही। आरटीईएस अपग्रेड सिस्टम शुरू होने से ट्रेनों के स्टेशन पर पहुंचने के सही समय की जानकारी मिलती है। अब ट्रेन के बारे में पूरी जानकारी तुरंत उपलब्ध होगी, ट्रेन पहुंचने का समय भी पता चलेगा।
रेल इंजनों के बारे में हर समय रेलवे रहेगा अपडेट
अभी तक रेल मंडलों में संचालित इंजनों की सही जानकारी नहीं मिल पाती थी। इंजन देशभर में चलते रहता है। इसकी वजह से उसकी सही पोजिशन की जानकारी नहीं मिल पाती है। कभी-कभी उनका लोकेशन भी मिस हो जाता है। इसी वजह से इंजन और कोच को लापता बताए जाते हैं। आरटीईएस से इंजनों की स्थिति की सही जानकारी मिल सकेगी।
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