पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
सेल चेयरमैन भले ही मार्च तक वेतन समझौता कराना चाह रही हैं लेकिन मामला इतना आसान नहीं है। प्रबंधन 15 प्रतिशत वेतन वृद्धि (एमजीबी) देने के लिए तैयार नहीं है। केंद्रीय यूनियनें उससे कम पर पर समझौता करने के मूड में नहीं हैं। इसके अलावा यूनियनें एरियर भुगतान को भी छोड़ना नहीं चाह रही। इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. जी संजीवा रेड्डी ने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान भास्कर से चर्चा करते हुए बताया कि सेल प्रबंधन किसी भी स्थिति में 5 साल के लिए समझौता नहीं करेगी। इसे उसने पहले ही स्पष्ट कर दिया है। वह पूर्व की एनजेसीएस बैठक में 10 साल के वेतन समझौता का प्रस्ताव दे चुका है। प्रबंधन का कहना है कि वेतन समझौते के पांच साल की अवधि को पूरा होने में महज 5 महीने ही बाकी रह गए हैं। ऐसे में इतने कम अवधि के लिए वेतन समझौता करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है, इसलिए वह 10 साल के वेज रिवीजन कराने में अड़ा हुआ है। जबकि प्रबंधन की ओर से पांच साल की लगातार बात कही जा रही है। एेसे में इस गतिरोध पर फिलहाल कोई फैसला होता नहीं दिख रहा।
15% से कम एमजीबी का प्रस्ताव रखने के संकेत
इंटक अध्यक्ष ने यह जानकारी भी दी कि सेल प्रबंधन ने पिछली बैठक में 5 प्रतिशत एमजीबी देने का प्रस्ताव रखा है। जिसे एनजेसीएस सदस्य यूनियनें ठुकरा चुकी है। वे 15% एमजीबी की मांग कर रही है। अभी कार्पोरेट आफिस से जो संकेत मिल रहे हैं, उसके मुताबिक प्रबंधन अभी भी उतना एमजीबी देने के मूड में नहीं है। प्रबंधन का कहना है कि फिलहाल कंपनी इस स्थिति में नहीं है कि 15% एमजीबी दिया जाए।
सेल प्रबंधन अपनी खराब स्थिति का दे रहा हवाला
सेल कर्मियों का वेज रिवीजन 55 महीने से लंबित है। प्रबंधन खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए इस अवधि का एरियर भुगतान नहीं करना चाहता। इंटक अध्यक्ष संजीवा रेड्डी के मुताबिक एनजेसीएस सदस्य यूनियनें एरियर भुगतान पर अड़ी हुई है। प्रबंधन व यूनियनों के बीच टकराव होना तय है। भले ही प्रबंधन समझौते के दो-तीन साल बाद ही एरियर भुगतान क्यों न करें, लेकिन यूनियनें किसी भी स्थिति में छोड़ने को तैयार नहीं।
पर्क्स को लेकर यूनियनों रूख अभी भी साफ नही
यूनियनें भले ही 35% पर्क्स की मांग कर रही है। इसे लेकर सेल प्रबंधन ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। आने वाली 27 फरवरी की बैठक में भी इस मुद्दे पर केंद्रीय यूनियनों का रूख क्या होगा, इसे लेकर अभी भी संशय बना हुआ है। खुद इंटक अध्यक्ष संजीवा रेड्डी का कहना है कि पर्क्स को लेकर बैठक के पहले केंद्रीय यूनियनें अलग से बैठक कर इस पर विचार विमर्श करके इस पर आम सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा।
सीटू भले ही विरोध करे, बाद में हमारे साथ आ जाएगी
सीटू द्वारा 10 साल की जगह पांच साल के लिए वेतन समझौता किए जाने के सवाल पर इंटक अध्यक्ष रेड्डी का कहना सीटू इसके पहले के वेतन समझौते में बाकी यूनियनों से अलग राय रखता रहा है। लेकिन बाद में आम सहमति बनने पर वह भी उसमें शामिल हो जाता है। इसलिए इस बार भी वह समझौते की अवधि को लेकर बाकी यूनियनों से अलग राय रख रहा है तो कोई बड़ी बात नहीं है। बाद में सब एक हो जाएंगे।
यूनियनें रहीं विफल तो कर्मियों को घाटा होना तय
15% से कम एमजीबी पर 10 साल के लिए वेतन समझौता होने पर कर्मियों को घाटा होना तय है। खासकर तब जब प्रबंधन एरियर देने के मूड में नहीं है। उस स्थिति में घाटे को पाटने के लिए केंद्रीय यूनियनों ने पांच साल के लिए वेज रिवीजन करने पर दबाव बनाना होगा। सेल की नवरत्न कंपनियों में शामिल भेल में ऐसा किया जा चुका है। वहां 10 प्रतिशत एमजीबी पर 2018 में ही वेतन समझौता किया जा चुका है। इसे यहां भी लागू किया जा सकता है।
पॉजिटिव- इस समय ग्रह स्थितियां पूर्णतः अनुकूल है। सम्मानजनक स्थितियां बनेंगी। विद्यार्थियों को कैरियर संबंधी किसी समस्या का समाधान मिलने से उत्साह में वृद्धि होगी। आप अपनी किसी कमजोरी पर भी विजय हासिल...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.