राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ विधानसभा सीट के लिए मतदान संपन्न हो गया है। शाम 5 बजे तक की रिपोर्ट के मुताबिक यहां लगभग 78 प्रतिशत वोटिंग हुई है। जो पिछली विधानसभा चुनाव की अपेक्षा में 7 प्रतिशत कम है। पिछले बार 2018 के विधानसभा चुनाव में 84.59 प्रतिशत वोटिंग यहां हुई थी। यहां सुबह से कई जगह पर वोटिंग करने के लोगों में खासा उत्साह देखा गया। नक्सल इलाके में भी बड़ी संख्या में लोग वोटिंग करने पहुंचे। अब उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला 16 अप्रैल को होगा।
उपचुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग ने पूर्व से ही तैयारी की थी। इसी के चलते निर्वाचन आयोग ने खैरागढ़ विधानसभा के बूथों के लिए मतदान दलों को सोमवार दोपहर से ही रवाना कर दिया था। शहर से लेकर गंडई और साल्हेवारा के अंतिम छोर तक के बूथों पर देर शाम तक मतदान दल पहुंच चुके थे। मतदान के लिए करीब 1 हजार 164 अधिकारियों और कर्मचारियों की डयूटी लगाई गई थी। इसके बाद अगले दिन मंगलवार को यहां सुबह 7 बजे से वोटिंग शुरू हुई थी। जो शाम 5 बजे तक चली। कुछ इलाकों में 5 बजे के बाद भी वोटिंग होती रही।
इतने बजे तक इतना मतदान
9 बजे तक | 17 प्रतिशत |
11.30 बजे तक | 34.56 प्रतिशत |
3 बजे तक | 65.68 प्रतिशत |
5 बजे तक | 78 प्रतिशत |
खैरागढ़ के अलग-अलग मतदान केंद्रों में बुजुर्ग से लेकर युवाओं तक बड़ी संख्या में वोट करने पहुंचे। इसके साथ ही लोगों ने एक दूसरे से वोट डालने की अपील भी की। हालांकि कुछ केंद्रों में गर्मी के चलते सन्नाटा पसरा रहा। बाद में यहां कुछ लोग वोट करने जरूर पहुंचे। वहीं नक्सल प्रभावित क्षेत्र हाथी झोला में भी भी वोट करने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। गर्मी के मद्देनजर यहां लोगों को पानी पिलाने की व्यवस्था भी की गई थी। कुछ लोग तो नीचे दरी में बैठकर अपनी बारी आने का इंतजार करते रहे। साथ ही अलग-अलग मतदान केंद्रों में व्हील चेयर में बैठकर भी लोग वोट करने पहुंच गए।
इधर, सुबह करीब 9.30 बजे कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा वर्मा और भाजपा उम्मीदवार कोमल जंघेल परिवार के साथ मतदान करने के लिए पहुंचे थे। दोनों उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया है।
बाद में छुईखदान के शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला में बने बूथ पर हंगामा हो गया था। यहां भाजपा प्रत्याशी मतदान केंद्र के अंदर जा रहे थे। इस दौरान सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक लिया। आरोप है कि उनका हाथ पकड़ लिया गया। इसके बाद कोमल जंघेल ने नाराजगी जताई और पुलिसकर्मी को वहां से हटाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए। इसके बाद अफसर वहां पहुंचे और जंघेल से बात की। अफसरों ने बताया कि प्रत्याशी को पहचान नहीं पाने के कारण दिक्कत हुई, जवान को वहां से हटा दिया जाएगा। इसके बाद कोमल जंघेल ने धरना खत्म कर दिया।
कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा वर्मा ने ग्राम देवारीभाट के शासकीय प्राथमिक शाला पहुंच कर मतदान किया और अपनी जीत का दावा किया।उन्होंने कहा कि कांग्रेस की जीत तय है लोगों का विश्वास उन्हें मिलेगा अगर कांग्रेस जीती है तो निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खैरागढ़ को जिला बनाएंगे।
इतने मतदाता और इतने उम्मीदवार
कुल उम्मीदवार | 10 |
कुल मतदाता | 2 लाख 11 हजार 516 |
पुरुष मतदाता | 1 लाख 6 हजार 290 |
महिला मतदाता | 1 लाख 5 हजार 250 |
दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी कोमल जंघेल ने परिवार सहित अपने गांव घिरघोली में बने बूथ पर मतदान किया। मतदान के बाद कोमल जंघेल ने कहा कि जनता का भरपूर प्यार और समर्थन मिला है। क्षेत्र की जनता का आशीर्वाद है, जीत होगी। उन्होंने कहा कि सीधा मुकाबला कांग्रेस से है, जनता कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं है। दावा किया कि कांग्रेस के घोषणा-पत्र का कोई प्रभाव जनता में नहीं पड़ा है। भाजपा प्रत्याशी के गांव में 1 घंटे में ही करीब 30 फीसदी वोट पड़ चुके हैं।
खैरागढ़ के दिवंगत पूर्व विधायक देवव्रत सिंह की पत्नी विभा सिंह खैरागढ़ के पॉलीटेक्निक कॉलेज में मतदान केंद्र क्र. 222 में मतदान करने पहुंची। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि खैरागढ़ विधानसभा को अच्छा से अच्छा बनाने की कोशिश रहेगी और अभी जिला,तहसील और उपतहसील को लेकर जो घोषणा हुई है उसे लेकर मैं उत्साहित हूं। वही दिवंगत राजा देवव्रत सिंह की आदमकद प्रतिमा को लेकर उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि कांग्रेस चुनाव जीेते या नहींं जीतने पर भी उनकी आदमकद प्रतिमा जरूर बनाएगी। लेकिन यदि कांग्रेस उनकी आदमकद प्रतिमा नहीं बनाती है तो मैं उनकी आदमकद प्रतिमा बनवाऊंगी।
यह था प्रशासनिक गणित
खैरागढ़ उपचुनाव के लिए प्रशासन ने 291 मतदान केंद्र बनाए थे। इन बूथों पर 2 लाख 11 हजार 516 मतदाता प्रत्याशी के भाग्य का फैसला करना था। 10 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें भाजपा, कांग्रेस और JCCJ के अलावा ज्यादातर निर्दलीय थे।
यह 10 उम्मीदवार हैं मैदान में
पिछली बार जेसीसीजे के खाते में गई थी सीट
2018 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के देवव्रत सिंह ने इस सीट पर भाजपा की कोमल जंघेल को केवल 870 वोटों के अंतर से हराया था। नवम्बर 2021 में देवव्रत सिंह का निधन हो गया। इसके बाद से यह सीट खाली है। 2013 में कांग्रेस के गिरवर जंघेल यहां से विधायक थे। 2007 के उप-चुनाव और 2008 के आम चुनाव में भाजपा के कोमल जंघेल ने यह सीट जीती। इससे पहले कांग्रेस के देवव्रत सिंह यहां से विधायक हुआ करते थे।
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