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बेड की कमी के साथ ही अब कोरोना मरीजों को दवाइयां भी नसीब नहीं हो रहीं हैं। पेंड्री स्थित कोविड-19 हॉस्पिटल में रेमडेसिवीर इंजेक्शन का स्टॉक नहीं है। खबर है कि अस्पताल प्रबंधन ने सीजीएमएससी में 200 इंजेक्शन की डिमांड की है पर सप्लाई नहीं हुई है। इसलिए गंभीर मरीजों के परिजन डॉक्टरों के कहने पर मेडिकल दुकानों में इसकी व्यवस्था कर रहे हैं।
शहर में दो से तीन मेडिकल दुकानों में स्टॉक होना बताया जा रहा है पर यहां भी एक इंजेक्शन के पीछे 4 से 5 हजार रुपए तक वसूल किए जा रहे हैं, जबकि पड़ोसी जिले दुर्ग में यह इंजेक्शन 899 रुपए तक में मिल रहा है। महंगे दर पर इंजेक्शन बेचे जाने के संबंध में ड्रग इंस्पेक्टरों तक शिकायतें हो चुकी हैं पर ड्रग इंस्पेक्टर भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति यह है कि जनऔषधि केन्द्र में यह इंजेक्शन उपलब्ध ही नहीं है।
जनऔषधि केंद्र में भी स्टॉक नहीं, लोगों में रोष
यह इंजेक्शन फेफड़े में निमोनिया की शिकायत होने पर मरीजों को लगाया जाता है। इस इंजेक्शन का पांच से छह डोज देना पड़ता है। यानी की एक ही बार में 6 इंजेक्शन खरीदना पड़ रहा है। इसका फायदा उठाकर मेडिकल दुकान संचालक महंगे दर पर इसकी बिक्री कर रहे हैं। इंजेक्शन को लेने के लिए मरीज की पॉजिटिव रिपेार्ट, डॉक्टर से अधिकृत पर्ची, आधार कार्ड सहित अस्पताल का पता बताना अनिवार्य है। यानी इस फार्मेट को भरने पर ही इंजेक्शन उपलब्ध हो पाता है। इस संकट काल में शॉर्टेज बताकर इंजेक्शन की कालाबाजारी को लेकर लोगों में रोष है। इधर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ प्रदीप बेक ने बताया कि इंजेक्शन की कमी है पर डिमांड भेज चुके हैं।
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