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कोरोना का संक्रमण अपने चरम पर हैं। कोविड हास्पिटल के सभी बेड फुल हो चुके हैं। वेंटिलेटर से लेकर आईसीयू में भी जगह नहीं हैं। हालात यह है कि होम आईसोलेट मरीज की हालात बिगड़ती है, तो उसे भी हास्पिटल लाने की स्थिति नहीं हैं। बिगड़े हालात के सामने पूरा सिस्टम बेबस हो गया है ।
पेंड्री के कोविड हास्पिटल में कुल 240 बेड हैं। इनमें 40 आईसीयू और 80 एचडीयू हैं। जिलेभर से किसी भी मरीज की सेहत बिगड़ने पर उसे पेंड्री में ही शिफ्ट किया जाता है। लेकिन बेड फुल हो जाने के चलते स्थिति ऐसी है कि अगर होम आईसोलेट या केयर सेंटर के मरीजों की हालत बिगड़ी तो उन्हें यहां भी जगह नहीं मिल पा रही है। ऐसे में मरीजों के सामने दुर्ग और भिलाई के विकल्प ही शेष रह गए हैं।
इधर यही स्थिति ब्लाक मुख्यालयों में बनाए गए कोविड केयर सेंटरों की है। केयर सेंटरों में सामान्य मरीजों को रखा जा रहा है, लेकिन रोजाना मरीजों की संख्या इस गति से बढ़ रही है कि इन सेंटरों में भी बेड फुल होने की स्थिति में हैं। अब प्रशासन के सामने नए कोविड केयर सेंटर शुरु करने के अलावा कोई भी विकल्प नहीं रह गया है। मौजूदा हालात दिनों दिन बिगड़ती जा रही है। सावधानी जरूरी है।
अब आगे कोविड सेंटरों को ही मिनी हॉस्पिटल बनाने की कर रहे तैयारी
बिगड़ते हालात को देखते हुए अब ब्लाक मुख्यालयों में मौजूद कोविड केयर सेंटरों को ही मिनी हॉस्पिटल बनाने की तैयारी है। अब तक कोविड केयर सेंटरों में सामान्य मरीज ही रखें जा रहे थे। लेकिन अब हर सेंटर में कम से कम 10 आक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की जा रही है। ताकि सामान्य स्तर पर सेहत बिगड़ने के बाद भी यहां मरीजों को इलाज दिया जा सके। यह व्यवस्था किए जाने से लोगों को थोड़ी राहत मिल सकेगी।
सामाजिक संस्थाओं से बढ़ी उम्मीद स्टाफ की कमी से भी दिक्कत
नए कोविड केयर सेंटर के लिए अब प्रशासन भी सामाजिक संस्थाओं पर निर्भर होती जा रही है। बीते साल जिन संस्थाओं ने सेंटर बनाया था, उनसे दोबारा संपर्क किया जा रहा है। ताकि पॉजिटिव मरीजों को रखने की व्यवस्था हो सके । शहर में प्रेस क्लब भवन में भी 30 बिस्तर का केयर सेंटर शुरु किया गया है। सेंटर बढ़ने से अब स्टाफ की समस्या भी बढ़ती जा रही है। हर सेंटर के लिए मेडिकल स्टाफ की कमी की स्थिति बन रही है।
हालात देख प्रशासन ने की अपील घर पर रहें, खुद को सुरक्षित रखें
बिगड़ते हालात को देखते हुए प्रशासन भी अब आम लोगों से अपील कर रही हैं। लोगों को घरों पर ही रहने और सुरक्षित रहने की समझाइश दी जा रही है। संक्रमण के आंकड़े रोज नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में अगर यह नियंत्रित नहीं हुआ तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है। सबसे बड़ी समस्या बेड और स्टाफ की ही सामने आने वाली है। इसे देखते हुए वैकल्पिक उपाय क्या कर सकते हैं इस पर विचार किया जा रहा है।
समझिए, कैसी दिक्कत हालात के आगे सब लाचार
केस-1. खैरागढ़ कोविड केयर सेंटर में दाखिल मरीज की सेहत बिगड़ने लगी। जिले में बेड नहीं मिलने से परिजनों ने दुर्ग भिलाई में जानकारी जुटाई। इन शहरों में भी नो बेड की स्थिति ही सामने आई। काफी मशक्कत के बाद मरीज को रायपुर में दाखिल किया जा सका है।
केस-2. बाजार अतरिया में होम आइसोलेट पॉजिटिव मरीज का आक्सीजन लेवल गिरने लगा। सांस लेने में तकलीफ के बाद परिजन हॉस्पिटल ले जाने लगे। पेंड्री में सभी बेड फुल थे। इसे देखते हुए मरीज को परिजन सीधे रायपुर लेकर चले गए। पूरे दिन भटकने के बाद उन्हें एक निजी हॉस्पिटल में दाखिल किया गया।
केस-3. डोंगरगढ़ में भी होम आइसोलेशन में रह रही महिला मरीज की हालत बिगड़ी। महिला को वेंटिलेटर में शिफ्ट किया जाना था। लेकिन जिले में वेंटिलेटर की उपलब्धता नहीं हैं। परिजन उसे भिलाई ले गए, जहां भी वेंटिलेटर नहीं मिल पाया। परिजन मरीज को लेकर रायपुर पहुंचे। जहां एक हॉस्पिटल में बमुश्किल भर्ती हो सकी।
पॉजिटिव- कुछ रचनात्मक तथा सामाजिक कार्यों में आपका अधिकतर समय व्यतीत होगा। मीडिया तथा संपर्क सूत्रों संबंधी गतिविधियों में अपना विशेष ध्यान केंद्रित रखें, आपको कोई महत्वपूर्ण सूचना मिल सकती हैं। अनुभव...
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