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कोरोना संक्रमण बचने जब लॉकडाउन में लोग घरों से नहीं निकल रहे थे, तब बच्चों के स्वास्थ्य का ख्याल रखने स्वास्थ्यकर्मियों ने खतरा लेकर सरगुजा जिले में वैक्सीनेशन का काम बंद नहीं किया था। वे पीपीई किट पहनकर वैक्सीनेशन करते रहे। अब इसके परिणाम सकारात्मक आ रहे हैं। नौ महीने(2019 अप्रैल से दिसंबर 2020 तक) में ही 18182 बच्चों को सभी प्रकार के टीके लग गए हैं। यह निर्धारित लक्ष्य का 73 फीसदी है। जबकि इसके ठीक पिछले साल 76 फीसदी (कुल 19104 बच्चों) को ही वैक्सीनेशन हो पाया था। स्वास्थ्य विभाग के पास इस साल में मार्च तक का समय है। उम्मीद ही 926 केंद्रों में वैक्सीनेशन का काम पिछले साल से आगे निकल जाएगा बल्कि टारगेट हासिल कर लेंगे। अब तो कोरोना संक्रमण की दर भी एक फीसदी से नीचे आ गई है। इससे स्वास्थ्यकर्मियों को भी राहत मिली है। टीकाकरण में लगे कर्मचारियों का कहना है कि पहले ज्यादा खतरा था, लेकिन हमें अपना काम दिख रहा था ताकि बच्चे स्वस्थ्य रहे।
केंद्रों में सप्ताह में दो दिन लगाए जाते हैं टीके
सरगुजा जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र सहित 926 जगह वैक्सीनेशन केंद्र हैं। हर केंद्र में दो-दो स्वास्थ्यकर्मी की ड्यूटी रहती है। यहां मंगलवार व गुरुवार को टीके लगते हैं। यानी कुल 1852 स्वास्थ्यकर्मियों की ड्यूटी केंद्रों रहती है। यहां यहां गर्भवती महिलाओं का चेकअप, उन्हें टीटी का इंजेक्शन व बच्चों को टीका लगाते हैं। केंद्रों में निर्धारित दिनों बच्चों को लाकर टीके लगाए जा रहे हैं ताकि लक्ष्य पीछे छूट जाए। इस साल 24835 बच्चों को टीका लगना है। इसके लिए विभाग की तैयारियां पूरी हैं।
3 सीएचसी को छोड़ सभी जगह 70 फीसदी से ज्यादा वैक्सीनेशन
सरगुजा जिले में शहरी क्षेत्र के अलावा सात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। दिसंबर की स्थिति में इनमें से सिर्फ बतौली, लखनपुर, मैनपाट व सीतापुर को छोड़कर सभी जगह 70 फीसदी से ज्यादा वैक्सीनेशन हुआ है। अंबिकापुर शहरी क्षेत्र में तो सौ फीसदी बच्चों को टीकाकरण लगा है।
टारगेट के करीब रहने यह उपाय किए
अलग-अलग समय पर बच्चों को 10 टीके लगाते हैं
स्वास्थ्य विभाग द्वारा बच्चों की सेहत के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत अलग-अलग समय पर कुल 10 प्रकार के टीके लगाए जाते हैं। पोलियो, रोटा वायरस, बीसीजी, पेंटावेलेंट, हेपेटाइटिस बी, डीपीटी, पीसीवी, एफआईपीवी, खसरा, विटामिन ए शामिल हैं। इसके लिए बच्चों का की एक उम्र निर्धारित है जिसके भीतर ये टीके लगाए जाने चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों को सही समय पर टीका लगवाना जरूरी है। इससे वे विभिन्न तरह की जानलेवा बीमारियों से बचे रहते हैं। टीकाकरण के कारण ही कुछ बीमारियां देश से लगभग खत्म होने की कगार पर हैं।
बच्चों को टीका जरूरी है इसलिए जिले में हमने इसे कभी बंद नहीं किया
"कोरोना संक्रमण में थोड़ी परेशानी तो हुई लेकिन कर्मचारियों को मोटिवेट कर इन्हें हमेशा टीकाकरण के काम से जोड़े रखा गया। बच्चों के विकास के लिए निर्धारित टीके लगने जरूरी है। इसलिए इस काम को कभी बंद नहीं किया गया। जो कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हुए उनकी जगह दूसरे की ड्यूटी लगाई ताकि टीका केंद्र बंद न हो। अभी हमारे पास डेढ़ महीने का और समय है।"
-डॉ. राजेश भजगावली, जिला टीकाकरण अधिकारी, सरगुजा
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