बलरामपुर जिले के घोर नक्सल प्रभावित इलाका चुनचुना पुदांग जहां नक्सलियों का हमेशा खौफ बना रहता है। वहां बिजली पहुंचाने की तैयारी चल रही है, ताकि लोगों के घर रोशन हो सके। इसके लिए पिछले दिनों बनाए गए सीआरपीएफ कैंप भुताही गांव तक बिजली पहुंचाने के लिए बिजली कर्मचारी और ठेका कर्मी सीआरपीएफ की सुरक्षा में काम कर रहे हैं। यहां नक्सलियों का डर इतना है कि जब एक पोल गाढ़ने के लिए जंगल व पहाड़ में मजदूर गड्ढा खोदते हैं, उससे पहले सीआरपीएफ जवान इसकी जांच करते हैं कि कहीं वहां पहले से बम (आईईडी)तो नहीं लगा है। वहीं जिस दिन जवान सुरक्षा नहीं दे पाते उस दिन बिजली कर्मचारियों को काम बंद रखना पड़ता है। झारखंड से लगे कुसमी इलाके के भुताही मोड़ में पिछले दिनों नक्सलियों से निपटने के लिए सीआरपीएफ व पुलिस बल ने एक कैंप बनाया है।
यहां कैंप बनाने से पहले सुरक्षा के बीच 12 साल पहले स्वीकृत सड़क का निर्माण कराया गया और इसके बाद कुछ ही दिनों में पुलिस ने सर्चिंग कर कैंप बना लिया। कैंप बनाने के बाद अब फोर्स चुनचुना पुदांग में नक्सलियों की गतिविधियों पर नजर रख रही है, तो वहीं अब सड़क निर्माण के साथ कलेक्टर कुंदन कुमार ने ऐसी रणनीति बनाई है, जिससे यहां के लोगों के घरों में बिजली पहुंच सके और लोग खेती किसानी भी पंप स्थापित कर आसानी से कर सकें।
इसके लिए मुख्यमंत्री मजारा टोला योजना के तहत 45 लाख रुपए खर्च कर सात किलोमीटर लंबी हाइटेंशन लाइन खींची जा रही है। इसके बाद जब यह लाइन भुताही तक पहुंच जाएगी तो वहां के घरों तक रोशनी के लिए कनेक्शन दिया जाएगा। यहां से आगे चुनचुना व पुदांग व आसपास के दूसरे गांवों तक बिजली पहुंचाने में मदद मिलेगी। हालांकि इस समय बिजली कर्मचारी पल-पल के खतरे को भापकर आगे बढ़ रहे हैं और जब तक सुरक्षाकर्मी उन्हें आगे बढ़ने का निर्देश नहीं देते तब तक वे एक कदम आगे नहीं बढ़ रहे हैं।
सड़क निर्माण से ज्यादा कठिन काम: ईई नामदेव
बलरामपुर जिले के बिजली विभाग के ईई आर नामदेव का कहना है कि सड़क निर्माण से भी यह काम कठिन है, क्योंकि जंगल और पहाड़ के अंदर बिजली खंभों को लेकर जाना और उसे खड़ा करने के साथ ही तार खींचना होता है। ऐसे में यहां सुरक्षा के बिना काम करने के लिए मजदूर भी तैयार नहीं होते, उन्हें हमेशा डर बना रहता है। हलांकि उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह लगातार सुरक्षा मिलती रही तो बहुत जल्दी ही काम पूरा कर लेगें और भुताही सहित आसपास गांव के करीब 400 घरों को रोशन कर पाएंगे।
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