छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर स्थित परसा कोल खदान के विरोध में ग्रामीण उग्र हो गए हैं। हथियारों से लैस होकर पहुंचे तीन पंचायतों के लोगों ने जमकर उत्पात मचाया और अस्थाई पोस्ट व जनरेटर को आग लगा दी। सूचना मिलने पर अपर कलेक्टर अनिकेत साहू, ASP विवेक शुक्ला, प्रशिक्षु IPS रॉबिंसन गुड़िया सहित कई थानों की फोर्स मौके पर पहुंच गई। माहौल तनावपूर्ण हो गया है। कलेक्टर ने पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है।
जानकारी के मुताबिक, पारंपरिक हथियार तीर-धनुष और टंगिया-फरसा से लैस होकर करीब एक हजार ग्रामीणों ने रैली निकाली। इसके बाद 2 किमी पैदल चलते हुए खदान शुरू करने के लिए बनाई गई अस्थाई पोस्ट तक पहुंच गए। हाथों में पेट्रोल से भरी बोतलें लिए ग्रामीण वहां पहुंचकर खदान वापस लो नारे लगाने लगे और पोस्ट में आग लगा दी। इससे माइंस कर्मियों का कैंप और वहां रखा जनरेटर जलकर खाक हो गया।
दरअसल, उदयपुर क्षेत्र के हरिहरपुर, फतेहपुर और साल्ही ग्राम पंचायत के लोग खदान खोलने का साल 2019 से विरोध कर रहे हैं। प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री को ग्रामीण लिख चुके हैं। यहां के ग्रामीण 300 किलोमीटर पैदल चलकर राज्यपाल से मिलने भी गए थे, लेकिन इसके बाद भी सुनवाई नहीं हुई। इस पर 2 मार्च से साल्ही गांव में प्रदर्शन कर रहे थे। इसी बीच कोल माइंस को अनुमति मिल गई। एक सप्ताह पहले वहां खनन के लिए कैंप लगाया।
640 हेक्टेयर में चल रही परसा ईस्ट माइंस
उदयपुर क्षेत्र में पहले से परसा ईस्ट बासेन कोल माइंस चल रहा है। इसके लिए 640 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। यहां 2028 तक खनन करना था, लेकिन उससे पहले ही खनन कर लिया गया और इस खदान के सेकंड फेज के लिए अनुमति मिल गई है। यहां घाटबर्रा गांव में आधे लोग खदान के पक्ष में तो आधे विरोध में हैं।
12 सौ हेक्टेयर में खुलेगी खदान, 30 साल चलेगी
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादक निगम लिमिटेड के लिए अडानी कोयला माइनिंग करेंगी और यहां इससे 12 सौ हेक्टेयर जमीन खदान में जा रही है। इसमें 841 हेक्टेयर जंगल साफ हो जाएगा। वहीं चार गांव के 1 हजार लोग यानी 250 परिवार विस्थापित हो जाएंगे। वहीं 30 सालों तक प्रति वर्ष यहां से पांच मिलियन टन कोयला निकालने की तैयारी है।
20 प्रतिशत ने ही स्वीकार किया है मुआवजा
कोल ब्लॉक से हरिहरपुर, फतेहपुर, साल्ही और जनार्दनपुर पंचायत प्रभावित हो रही है। इसी हरिहरपुर और फतेहपुर पूरी तरह तो साल्ही का एक मोहल्ला और जनार्दनपुर के दो-तीन किसानों की जमीन जा रही है। इसमें से 80 प्रतिशत किसानों ने जमीन का मुआवजा लेने से इंकार कर दिया है तो 20 प्रतिशत लोगों ने मुआवजा लिया है।
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