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शहर से लगे मेंड्राखुर्द गांव स्थित अर्चना बांध के डूब क्षेत्र पर कब्जा कर अतिक्रमण कारियों ने प्लाटिंग शुरू कर दी है। आलम यह है कि पांच एकड़ की जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने 10-10 फीट तक बांध को भी पाटकर समतल कर दिया है। तीन साल पहले हुई शिकायत के बाद इस मामले में जिला प्रशासन ने जांच टीम गठित कर कार्रवाई की थी। इसके बाद कब्जा हटाने की कार्रवाई नहीं होने के कारण अब वहां तार फेंसिंग कर प्लॉटिंग शुरू कर दी गई है। जानकारी के अनुसार 2001 में करीब 25 एकड़ की जमीन पर अर्चना बांध बनाया गया था। जिसके लिए किसानों से जमीन का अधिग्रहण कर मुआवजा भी वितरित कर दिया गया। इसी दौरान 2016 में एक किसान ने मुआवजा नहीं मिलने की बात कहते हुए अपने हिस्से की पांच एकड़ जमीन शहर निवासी प्रकाश अग्रवाल, अताउल्लाह, सोनू गुप्ता, संजय गुप्ता, बिजेंद्र सिंह, सरफराज अहमद को बेच दी। जबकि यह जमीन बांध के डूब क्षेत्र में शामिल है। इसके बाद बांध की जमीन पर अतिक्रमण का खेल शुरू करते हुए डूब क्षेत्र ही नहीं बांध की अतिरिक्त जमीन को भी मिट्टी से पाटकर समतल करना शुरू कर दिया है।
अगल-बगल भरा पानी, बीच में किया कब्जा, अवैध प्लाट भी बेच रहे माफिया
ग्रामीणों ने बताया कि बांध के अधिग्रहण क्षेत्र में एक साथ तीन किसानों के खेत थे। जिसमें बीच के हिस्से को छोड़कर दोनों खेतों में पानी का भराव है। जबकि बीच के हिस्से वाले किसान ने मुआवजा नहीं मिलने की बात कहते हुए अपनी जमीन बताई। इस कारण बांध के भराव क्षेत्र में एक टापू जैसी स्थिति बनी हुई है। इसी की आड़ में कब्जेदार बांध की अतिरिक्त जमीन पाटकर अवैध रूप से कब्जा कर प्लाट बेच रहे हैं।
ग्रामीणों की शिकायत के बाद दो जेसीबी और 8 ट्रैक्टर किए थे जब्त
2017 में ग्रामीणों की शिकायत पर अर्चना बांध को पाटे जाने के मामले में प्रशासन ने दो जेसीबी और आठ ट्रैक्टरों को जब्त किया था। इसके बाद से प्रशासनिक जांच आगे नहीं बढ़ सकी। शिकायत के बाद पहुंची पुलिस प्रशासन की संयुक्त टीम ने जेसीबी व ट्रैक्टरों को जब्त कर गांधीनगर थाने में खड़ा करा दिया था। वहीं जांच होने तक कार्य पर रोक लगाने का आदेश दिया गया।
एसडीएम न्यायालय ने दिए थे कब्जा हटाने के आदेश
एसडीएम न्यायालय ने 8 नवंबर 2017 को आदेश जारी करते हुए बताया कि जल संसाधन विभाग की तरफ से मुहैया कराए गए नक्शे के 10 मीटर अंदर अधिग्रहित क्षेत्र में कब्जेदारों ने लगभग चार-पांच फीट की उंचाई तक मिट्टी गिराई है, जो बांध के डूब क्षेत्र में आती है। एसडीएम ने मिट्टी के इस भाग को हटाने का आदेश दिया था। प्रकरण की जांच में यह भी सामने आया था कि डूब क्षेत्र में कुछ खातेदारों का नाम अभी भी राजस्व अभिलेख में दर्ज है, जो जल संसाधन विभाग के नाम होना चाहिए था। क्योंकि, इस जमीन का अधिग्रहण कर मुआवजा बांटा जा चुका है।
मामले में पुरानी जांच और वर्तमान स्थितियों काे देखेंगे
सिंचाई विभाग की एसडीओ डीएम बड़ा ने बताया कि मामले में पुरानी जांच और वर्तमान स्थित को देखा जा रहा है। मौके पर कर्मचारियों को भेजकर सीमांकन किया जाएगा। बांध की जमीन से संबंधित सभी कागजों को देखा जा रहा है और यदि अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा नहीं मिल पाया है तो उसका मुआवजा भी दिया जाएगा। लेकिन, बांध की जमीन से पूरे कब्जे को हटाया जाएगा।
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