पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
राजू शर्मा | कोरोना से विजय प्राप्त करने के दो मूलमंत्र हैं। पहला सकारात्मक सोच और दूसरा आत्मविश्वास। जिले के 90 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग जो कोरोना की चपेट में आए और बीमारी से जीत हासिल की, उनका कहना है कि लोग शरीर से कम, मन से अधिक बीमार होते हैं। कोरोना इतनी बड़ी बीमारी नहीं है जितना लोगों के भीतर उसका डर है। हमने कोविड को करीब से देखा है। उम्र अधिक थी। परिवार को डर था पर हौसला कम होने नहीं दिया। पूरे आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच के साथ हमने 14 से ज्यादा दिन बीमारी से संघर्ष किया और अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।
वे कहते थे-कोरोना मुझे है ही नहीं
अज्ञेय नगर में रहने वाले 96 साल के सुशील कुमार श्रीवास्तव 13 अक्टूबर को कोरोना पॉजिटिव हुए थे। बुजुर्ग ने इस बीमारी को घर पर ही रहकर हराया और वर्तमान में वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। उनके बेटे ने बताया कि मुझे और पापा को खांसी आ रही थी। कोई भी डॉक्टर बिना कोरोना जांच के इलाज नहीं कर रहा था। हमने जांच कराई तो पापा और मेरा दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। मुझे पापा की चिंता होने लगी। क्योंकि उन्हें हार्ट की बीमारी है। चार साल पहले ऑपरेशन भी कराया था। पापा पॉजिटिव होने के बाद भी मानने को तैयार नहीं थे। उन्होंने कोई भी दवा नहीं ली और घर पर रहकर कोरोना को हरा दिया। कहते थे कि कोरोना मुझे है ही नहीं। लोग जबरिया कहते हैं कि मैं पॉजिटिव हूं। सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास से उन्होंने वायरस का सामना किया और बीमारी को हरा दिया। हां वे हर दिन योगा जरूर करते थे।
कब पॉजिटिव हुए और ठीक हो गए पता ही नहीं चला
जरहाभाठा के रिटायर्ड शिक्षक निर्मल कुमार सैमुअल 93 वर्ष के हैं। 5 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव हुए थे। उनके बेटे ने बताया कि उन्होंने घर पर ही बीमारी का आत्मविश्वास से सामना किया और अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। बाकायदा चलते फिरते हैं। उन्होंने ये भी बताया कि पापा को कब कोरोना हुआ, और कब ठीक हो गए पता ही नहीं चला।
सोच सकारात्मक है तो कोरोना जरूर हारेगा
गतौरा निवासी 90 वर्षीय सोनाबाई 21 अक्टूबर को कोरोना की चपेट में आ गई। उनके भीतर लक्षण नहीं थे। उन्होंने घर पर इलाज के दौरान इस जंग को जीता। उनका कहना है कि कोरोना के भय से लोग चिंता में आ जाते हैं। जबकि कोरोना हमारे शरीर का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। बशर्ते आप डरें नहीं। जो पूरे हौसले से इसका सामना करेगा, तो जीत मिलना तय है। रतनपुर के 90 वर्षीय लटेल सूर्यवंशी कोरोना को मात दे चुके हैं। पूरी तरह स्वस्थ हैं। 15 अक्टूबर को वे पॉजिटिव हुए और घर पर रहकर बीमारी को हराया। उनके पोते का कहना है कि परिवार के लोगों रोज उनकी चिंता करते थे, लेकिन वे हमेशा कहते रहते थे कि कोरोना मेरी जान नहीं ले सकता। मुझे कुछ नहीं हुआ है। तुम लोग चिंता मत करो। कोरोना होने के बाद भी वे हमेशा पॉजिटिव रहते थे। अंत में उनकी बात सही निकली। अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं।
बीपी, शुगर फिर भी नहीं टूटा विश्वास
97 साल के लोरिक राम ध्रुव ने कोरोना से जंग जीतने में सफलता पाई। उन्होंने बताया कि इलाज के साथ रोजाना आधे घंटे व्यायाम और उनकी सकारात्मक सोच ने जिंदगी की इस लड़ाई में उन्हें विजेता बनाया। पहले से बीपी और शुगर था। उन्हें सर्दी, खांसी, बुखार के अलावा सांस लेने में भी तकलीफ थी। शरीर में इतनी पीड़ा होने के बाद भी उन्हें विश्वास था कि वे जरूर ठीक होकर जाएंगे। इलाज के साथ उनकी सकारात्मक सोच ने उन्हें इस लड़ाई में जीत दिलाई।
पॉजिटिव- ग्रह स्थिति अनुकूल है। मित्रों का साथ और सहयोग आपकी हिम्मत और हौसले को और अधिक बढ़ाएगा। आप अपनी किसी कमजोरी पर भी काबू पाने में सक्षम रहेंगे। बातचीत के माध्यम से आप अपना काम भी निकलवा लेंगे। ...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.