रेलवे और लोक निर्माण विभाग में एक साथ नौकरी करने के आरोपी युवक की अग्रिम जमानत आवेदन को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। दरअसल, आरोपी युवक ने रेलवे में काम करते हुए अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल कर लिया और PWD में सब इंजीनियर बन गया। चयन होने के बाद वह दोनों विभागों में छह साल तक नौकरी करता रहा। जब मामला सामने आया, तब उसके खिलाफ FIR दर्ज कराई गई। इस केस में फरार आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।
रायगढ़ के विनोबा नगर निवासी संतोष कुमार कश्यप रेलवे में टेक्निकल ग्रेड- 3 के पद पर कार्यरत था। 30 नवंबर 2007 को लोक निर्माण विभाग में सब इंजीनियर के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी हुआ। तब उसने भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के लिए रेलवे से अनापत्ति प्रमाण पत्र ले लिया। इस दौरान उसका चयन सब इंजीनियर के पद पर हो गया। फिर उसने वर्ष 2008 में लोक निर्माण विभाग में जॉइन भी कर लिया। लेकिन रेलवे की नौकरी से उसने इस्तीफा नहीं दिया। करीब छह साल तक वह दोनों विभाग में एक साथ काम करता रहा।
केस उजागर हुआ तब दिया इस्तीफा
जब उसके दो सरकारी विभाग में एक साथ नौकरी करने की शिकायत की गई, तब उसने 2014 में रेलवे से इस्तीफा दे दिया। इधर, मामले का खुलासा होने के बाद उसके खिलाफ चक्रधर नगर थाने में धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया गया। केस दर्ज होने के बाद आरोपी युवक फरार हो गया।
आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए पहले 8 मार्च 2016 को हाईकोर्ट में याचिका दायर किया था, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद उसने कुछ समय पहले दोबारा अग्रिम जमानत अर्जी लगाई। इस केस की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने केस डायरी और जांच रिपोर्ट में पाया कि उसने रेलवे से वर्ष 2014 में इस्तीफा दिया था, जबकि उसने वर्ष 2008 में ही PWD में जॉइन कर लिया था। इसके आधार पर हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
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