अविमुक्तेश्वारानंद बोले-हिंदू राष्ट्र नहीं धर्म शिक्षा पर बात हो:1947 का काला कानून रद्द होना चाहिए, नेता राम के नाम पर राजनीति करते हैं

बिलासपुर5 महीने पहले
छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद।

ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकाराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ज्ञानवापी मुद्दे को लेकर केंद्र और उत्तरप्रदेश की BJP सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि देश में हिंदू-मुस्लिम विवाद खत्म करने के लिए 1947 के कानून को खत्म करना चाहिए। क्योंकि, यथास्थिति कम समय के लिए दिया गया है फैसला था। यह अंतिम फैसला नहीं हो सकता। इससे हमेशा विवाद की स्थिति बनी रहेगी। ज्ञानवापी मुद्दे पर सरकार तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी अमल नहीं कर रही है।

बिलासपुर में घोघा बाबा मंदिर में धर्म सभा में आए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने हरीश कुमार शाह के कुंज कुटीर में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि राजनेता को सत्ता चाहिए, इसलिए वह भगवान के नाम पर राजनीति करते हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है। उन्होंने कहा कि BJP को सांप्रदायिक बोलते-बोलते कांग्रेस की आज यह दशा हो गई है। प्रियंका गांधी प्रयाग कुंभ में शंकराचार्य का दर्शन करने गई थी, तब उन्होंने कहा कि देश बहुसंख्यक हिंदुओं का है। उनकी उपेक्षा करने वाला कोई भी दल राजनीति नहीं कर सकता। लेकिन, उन्होंने इस बात को नहीं माना। भाजपा कम से कम हिंदुओं की बात तो कह रही है।

बिलासपुर के घोंघा बाबा मंदिर में हुई धर्म सभा।
बिलासपुर के घोंघा बाबा मंदिर में हुई धर्म सभा।

उन्होंने कहा कि देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खुद देवी-देवताओं के मंदिरों में जाती थीं और संतों के पास जाती थीं। रुद्राक्ष धारण करती थीं और शंकराचार्य की तस्वीरें कार्यालय में लगाए रहती थीं। तब वे सांप्रदायिक नहीं हुईं। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि कांग्रेस ने देश का बंटवारा कर दिया। हिंदू-मुस्लिम को बांट दिया, तब सांप्रदायिक नहीं हुआ। जवाहरलाल नेहरू सहित अन्य नेता पाकिस्तान क्यों नहीं गए, क्योंकि वे अपने आप को हिंदू समझते थे और हिंदुओं के साथ खड़े थे। तब आपको हिंदू हित की बात करने में संकोच क्यों है। कांग्रेस को हिंदू हित की बात करना चाहिए। इसमें संकोच करने वालों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

हिंदू राष्ट्र से काम नहीं चलेगा, क्योंकि कंस और रावण भी हिंदू राजा थे
हिंदू राज्य नहीं, देश में धर्म राष्ट्र की जरूरत है। हिंदू राष्ट्र से हमारा काम नहीं चलेगा, क्योंकि हिंदू राजा बनेगा और कंस और रावण जैसे राजा बनेंगे। ऐसी स्थिति में धर्म राष्ट्र की कल्पना करनी चाहिए। लोगों के हृदय में धर्म की भावना बैठ जाए और अपराध करने से परहेज करे। हम इसके भुक्तभोगी हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन से हमने गंगा नदी को राष्ट्र नदी घोषित करने की मांग की थी। इसके बाद भी राष्ट्र नदी में लाखों लीटर गंदा पानी जा रहा है। ऐसे में केवल नाम देने से कुछ नहीं होता। इसके लिए प्रोटोकाल की जरूरत है। अंग्रेजों के जमाने में पाठ्य पुस्तक में राम और कृष्ण के बारे में पढ़ाया जाता था। लेकिन, अब वो सब हटा दिया गया है। ऐसे में हिंदूओं के बच्चे धर्म शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। क्रिश्चियन और मुस्लिमों को धर्म की शिक्षा की दी जा रही है। हिंदू बहुसंख्यक देश में धर्म की शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। स्कूलों में हिदूंओं को धर्म की शिक्षा देना जरूरी है। संविधान की धारा 30 लागू कर कानून बनाया गया था, जिसे खत्म करना चाहिए।

ज्ञानवापी की तरह दूसरे जगहों पर भी दर्ज होना चाहिए मुकदमा
ज्ञानवापी मस्जिद की तरह देश भर में इस तरह से मंदिरों में हुए कब्जे को मुक्त कराने के लिए कांग्रेस के 1947 के काला कानून को भाजपा को खत्म करना चाहिए। विवादित धार्मिक स्थलों को मुक्त कराने के लिए ट्रिब्यूनल बना देना चाहिए। ज्ञानवापी मुद्दे पर उन्होंने कहा कि हिंदूओं को पूजा करने की छूट देनी चाहिए। लेकिन, अब कहा जा रहा है कि शिव की जगह फौवारा है। मुगलशासन काल में सभी मुस्लिम संस्थानों में सभी जगह फौवारा बनाया गया है। कासी में शिव लिंगाकार फौवारा बनाया गया, ऐसा क्यों। देश की संविधान और सरकार जब तक न्याय नहीं करेगा, तब तक देश में शांति नहीं होगी। इस संवेदनशील मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने ड्यू प्रोटेक्शन करने का आदेश दिया है। मगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं किया जा रहा है। वाराणसी का प्रशासन इस आदेश को नहीं मान रहा है। पूजा पाठ करने से शासन प्रशासन हिंदुओं को रोक रहे हैं। यही काम कांग्रेस करती तो तुष्टिकरण हो जाता।

कोर्ट को दूसरे धर्मो के आराध्य पर भरोसा नहीं
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि कोर्ट देवी-देवताओं को नोटिस क्यों देता है यह हम नहीं बता सकते। लेकिन, इतना जरूर है कि कोर्ट को यह भरोसा है कि भगवान है। इसलिए, नोटिस देते हैं। दूसरे धर्म के आराध्य पर उन्हें भरोसा नहीं है।

कवर्धा में बनेगी छत्तीसगढ़ की धर्म राजधानी
अविमुक्तेश्वानंद ने कवर्धा के मामले में कहा कि सनतन धर्म के ध्वज का अपमान करने का अधिकार किसी को नहीं है। मिलजुल कर रहना है और नहीं रहना है तब भी ऐसा नहीं करना चाहिए। हमने जमीन खरीदकर ध्वज लगा दिया है, जो फहरा रहा है। वहां धार्मिक आयोजन भी हो रहा है। हमने कहा था कि कवर्धा छत्तीसगढ़ की धर्म राजधानी बनेगी। अभी यह काम बाकी है, जिस पर चर्चा की जाएगी। कवर्धा मंगलम कार्यक्रम भी चल रहा है, वहां शामिल होंगे।

आलोचना की छूट है, पर गाली देना गलत है
संत कालीचरण के महात्मा गांधी को गाली देने पर उन्होंने विरोध किया। उन्होंने कहा कि देश में आलोचना करने का अधिकार सभी को है। लेकिन, मयार्दा में रहकर आलोचना करना चाहिए। उन्होंने महात्मा गांधी को गाली दिया था, जो गलत था। इसलिए हमने उनका समर्थन नहीं किया।

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