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बालोद जिला वनोपज संघ अध्यक्ष और राज्य वनोपज संघ के प्रतिनिधि यज्ञदत्त शर्मा को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फिर से राहत दी है। कोर्ट ने सोसाइटी भंग करने के संघ संचालक के दिसंबर 2020 में दिए आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार और अन्य जिम्मेदारों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट के साल 2017 में स्थगन के बावजूद संचालक ने आदेश जारी किया था। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकलपीठ में हुई।
राज्य वनोपज संघ के प्रतिनिधि यज्ञदत्त शर्मा ने अधिवक्ता शशांक ठाकुर, आशुतोष पांडेय और हिमांशु सिन्हा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें उन्होंने दिसंबर 2020 को छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ मर्यादित के कार्यकारी संचालक और पंजीयक विवेक आचार्य के आदेश को चुनौती दी है। आदेश में पंजीयक ने प्राथमिक वनोपज सहकारी सोसायटी बालोद के संचालक मंडल को भंग करने का आदेश जारी किया था।
बताया कि संचालक का आदेश कोर्ट की अवमानना
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ताओं ने न्यायालय को बताया कि जिस आधार पर प्राथमिक सोसायटी के संचालक मंडल को भंग किया गया है, उस पर पहले ही हाईकोर्ट जस्टिस प्रशांत मिश्रा की एकलपीठ ने 10 मार्च 2017 को स्थगन आदेश दिया है। कोर्ट में यह भी बताया गया कि पुराने आदेश होने और उन्हीं आधारों पर याचिकाकर्ता के प्राथमिक सोसायटी को भंग किए जाना न्यायालय की अवमानना और विधि विरुद्ध है।
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