बिलासपुर में पड़ोसी की 13 साल की बच्ची का अपहरण करने और उसके साथ 12 दिनों तक दुष्कर्म करने वाले अधेड़ को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई है। उसने साल 2019 में मोहल्ले की बच्ची का अगवा कर लिया था और रायपुर में दुष्कर्म किया था। जिस बच्ची का अपहरण हुआ था, उसके माता-पिता दोनों की ही आंखों की रोशनी नहीं है। मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है।
अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला ने बताया कि घटना साल 2019 की है। 13 साल की बच्ची का तीन साल पहले अपहरण हो गया था। मंगला में पंचर की दुकान चलाने वाले 52 वर्षीय अधेड़ धन्नूलाल चतुर्वेदी का बच्ची के घर आना-जाना था। बच्ची के माता-पिता देख नहीं सकते। धन्नूलाल ने एक दिन मौका पाकर बच्ची को अगवा कर लिया। फिर उसे अपनी बेटी बताकर रायपुर ले गया। वहां वो बच्ची को लेकर कभी यहां कभी वहां भटकता रहा। इस घटना की शुरूआत में पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही थी। बाद में दबाव बनाने के बाद पुलिस हरकत में आई। करीब 12 दिन बाद पुलिस ने आरोपी के पास से बच्ची को बरामद किया गया। बच्ची ने अपने बयान में आप बीती बताई, तब पुलिस ने दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट के तहत अपराध दर्ज कर धन्नूलाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने माना दोषी और सुनाई सजा
आरोपी के गिरफ्तार होने के बाद पुलिस ने उसके खिलाफ चार्जशीट पेश की गई। अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट विवेक कुमार तिवारी के यहां मामले में ट्रायल चला। जिसमें पीड़ित बच्ची की तरफ से अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला ने पैरवी की। कोर्ट ने अभियुक्त धन्नू लाल चतुर्वेदी को दोषी मानते हुए 20 साल कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है।
आरोपी के बच्चों की मदद करते रहे दृष्टिहीन दिब्यांग माता-पिता
इस घटना की मार्मिक कहानी यह भी है कि हवा-पंचर की दुकान चलाने वाले आरोपी धन्नूलाल की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। वहीं, पीड़ित बच्ची के माता-पिता दृष्टिबाधित दिब्यांग है। इसके बाद भी दोनों मिलकर आरोपी धन्नू के बच्चों को खाना खिलाते थे और मदद भी करते थे। लेकिन, उन्हें क्या पता था कि जिनकी वो मदद कर रहे हैं वही आदमी उनकी बच्ची के साथ हैवान जैसा व्यवहार करेगा।
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