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हाईकोर्ट ने अंबिकापुर परिवार न्यायालय के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि बच्चे को माता पिता दोनों का प्रेम और स्नेह मिलना चाहिए। उसको किसी एक के स्नेह से वंचित नहीं किया जा सकता है। यह माता, पिता और बच्चे का मौलिक अधिकार भी है। इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय को निर्देशित किया कि वह समय, स्थान और अवधि निर्धारित करे जिसमें पिता आकर अपने चार साल के बच्चे से मिल सकें। मामले की सुनवाई जस्टिस आरसीएस सामंत की एकलपीठ में हुई।
मनीष सिंह ने अधिवक्ता अच्युत तिवारी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें बताया कि वह छपरा बिहार का रहने वाले हैं, और उनका विवाह अंबिकापुर निवासी वन्दना सिंह से हुआ था। आपस में विवाद के बाद वंदना ने कुछ साल बाद अंबिकापुर फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई। इस बीच इन दोनों का बेटा जो 4 साल का हो चुका है। वह अंबिकापुर में अपनी माता के साथ रह रहा है।
याचिकाकर्ता ने परिवार न्यायालय में एक आवेदन पेश कर कहा कि उसे अपने बेटे से मिलना है इसके लिए आदेशित किया जाए। न्यायालय ने आवेदन को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट में प्रस्तुत याचिका में सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांतों को तथ्य के रूप में अधिवक्ता ने पेश करते हुए बताया कि माता और पिता दोनों को अपने बच्चे के साथ से वंचित नहीं किया जा सकता है।
प्रकरण की सुनवाई जस्टिस आरसीएस सामंत की एकलपीठ में हुई। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आदेश पारित किया। इस आदेश में कहा कि बच्चा अपने पिता और माता दोनों से मिलने का हकदार है। साथ ही माता या पिता किसी को भी अपने बच्चे से मिलने से वंचित नहीं किया जा सकता है।
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