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कोरोना महामारी के कारण बीते वर्ष साल 2020 में कुत्तों की नसबंदी नहीं हो पाई। इस कारण शहर में कुत्तों की संख्या बढ़ गई है। कुत्तों की बढ़ रही आबादी पर नियंत्रण पाने नगर निगम फिर से नसबंदी अभियान शुरू करने की तैयारी में है।
निगम से मिले आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष नगर निगम क्षेत्र में 5500 कुत्ते थे। कोरोना और लॉकडाउन के कारण वर्ष 2020 में कुत्तों की नसबंदी नहीं हो पाई और संख्या बढ़कर 7405 हो गई है। पूरे साल में 1904 कुत्ते बढ़ गए हैं। आवारा कुत्तों के आतंक से लोग फिर परेशान होने लगे हैं।
नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओंमकार शर्मा ने बताया कि 2015 से 2019 तक नगर निगम क्षेत्र में 4385 कुत्तों की नसबंदी की गई। एक कुत्ते की नसबंदी करने पर 900 रुपए खर्च होते हैं। इसके लिए कोई अलग से बजट नहीं आता है। नया बजट आने के बाद फिर से कुत्तों की नसबंदी का अभियान चलाया जाएगा।
जानिए किस वर्ष कितनी नसबंदी की गई
निगम के आंकड़ों के मुताबिक 2016 में सबसे ज्यादा 2063 कुत्तों की नसबंदी की गई थी। 2017 में 690, 2018 में नसबंदी अभियान पूरी तरह बंद रहा। 2019 में 1416 कुत्तों का बधियाकरण किया गया। 2015 में 1016 कुत्तों की नसबंदी हुई थी। 4 साल में कुत्तों की नसबंदी पर निगम ने 39 लाख 46 हजार 500 रुपए खर्च किए हैं।
लगातार अभियान चलाने से ही कम होगी आबादी
डॉक्टरों के मुताबिक रुक-रुककर या कुछ ही कुत्तों की नसबंदी कर आबादी पर नियंत्रण करना मुश्किल है। यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। यदि लगातार नसबंदी अभियान चलाया जाए, तो काफी राहत मिलेगी। आधी-अधूरी नसबंदी कार्य से सफलता नहीं मिल सकती। रात के समय आवारा कुत्ते बाइक, कार को भी दौड़ाते हैं।
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