बिलासपुर में गणेश समितियों के सम्मान समारोह में शामिल होने आ रहे संत कालीचरण महाराज को रोकने पर भगवा बिग्रेड ने जमकर बवाल मचाया, और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। हंगामे और विवाद के बाद प्रशासन ने कालीचरण को कार्यक्रम से दूर रखने की शर्त पर कार्यक्रम में अनुमति दे दी, इस आयोजन में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल मुख्य अतिथि बनाएं गए हैं।
शुक्रवार को संत कालीचरण बिलासपुर आने वाले थे, यहां उनका कार्यक्रम तय था। लेकिन, उनके आने से पहले ही विवाद की स्थिति बन गई। दरअसल, संत कालीचरण और पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल की मौजूदगी में गणेश उत्सव समितियों का पुरस्कार समारोह और हिंदू सम्मेलन होना था। आयोजकों ने इसके लिए प्रशासन ने अनुमति भी ली थी। लेकिन, प्रशासन को पता नहीं था कि कार्यक्रम में कालीचरण भी आने वाले हैं। यही वजह है कि, लखीराम ऑडिटोरियम में आयोजन की अनुमति दी गई थी। शुक्रवार की सुबह जब जिला प्रशासन के अफसरों को पता चला कि, कार्यक्रम में कालीचरण आने वाले हैं, तब उन्होंने ऑडिटोरियम के ठेकेदार जयपाल मुदलियार को मना कर दिया। इसके चलते ठेकेदार ने सुबह से ही ऑडिटोरियम में ताला लगा दिया।
भगवा बिग्रेड ने मचाया हंगामा
ऑडिटोरियम में ताला लगाने की खबर मिलते ही कार्यक्रम के आयोजक भगवा बिग्रेड और हिंदू संगठन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता ऑडिटोरियम के गेट के पास पहुंच गए। उन्होंने जमकर हंगामा मचाया और शासन-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। इधर, हंगामा और बवाल होने की जानकारी मिलते ही पुलिस अफसर और जवान मौके पर पहुंच गए।
आयोजन के लिए मिली अनुमति, विलंब से शुरू हुआ कार्यक्रम
आयोजकों ने कहा कि, कालीचरण महराज के शामिल होने पर प्रशासन ज्यादती कर रहा है। यह संत का अपमान है। उनके खिलाफ केस दर्ज है। लेकिन, आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी और हंगामा मचाने के बाद प्रशासन ने कार्यक्रम कराने की अनुमति दी। लेकिन, यह शर्त रख दिया कि कालीचरण महराज कार्यक्रम में नहीं आएंगे। आयोजक भी इसके लिए तैयार हो गए और संत कालीचरण का कार्यक्रम रद्द कर पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल की मौजूदगी में कार्यक्रम देरी से शुरू कराया।
महात्मा गांधी को दी थी गाली
रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में करीब 9 महीने पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गाली देने वाले संत कालीचरण पर पुलिस ने केस दर्ज किया था। इसके साथ ही उनके खिलाफ महाराष्ट्र के पुणे में भी मामला दर्ज किया गया था। इस घटना के बाद कालीचरण फरार हो गए थे, जिन्हें रायपुर पुलिस ने मध्यप्रदेश से गिरफ्तार किया था। बाद में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा कर दिया गया।
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