रायपुर के मैट्स यूनिवर्सिटी प्रबंधन के खिलाफ जनहित याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की है कि जनहित याचिका कमजोर वर्ग के बचाव के लिए है। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं है। हाईकोर्ट के इस फैसले से यूनिवर्सिटी प्रबंधन को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, कांग्रेस नेता डाक्टर विनय जायसवाल और आरटीआई एक्टिविस्ट ने फर्जी मार्कशीट बनाकर बेचने का आरोप लगाया था और कार्रवाई करने की मांग की थी।
मैट्स यूनिवर्सिटी के खिलाफ कांग्रेस नेता और आरटीआई एक्टिविस्ट संजीव अग्रवाल ने जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि मैट्स यूनिवर्सिटी प्रबंधन की ओर से फर्जी मार्कशीट बनाकर बेची जा रही है। याचिका में उन्होंने मनेंद्रगढ़ विधायक विनय जायसवाल को 2021 में 2019 की फर्जी अंकसूची बना कर देने का आरोप लगाया था। इस मामले की शिकायत उन्होंने दस्तावेजों के साथ यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों से की थी। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं की गई, तब हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करना पड़ा है।
CBI से जांच कराने की थी मांग
याचिका में पूरे केस की सीबीआई से जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। पूर्व में इस केस की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
मैट्स यूनिवर्सिटी ने जारी नहीं की थी मार्कशीट
याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य शासन के उच्च शिक्षा विभाग एवं छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की ओर से जवाब दिया गया, जिसमें बताया गया कि पूर्व में इस मामले की जांच की जा चुकी है। जांच में पाया गया है कि मार्कशीट मैट्स यूनिवर्सिटी ने जारी नहीं किया गया था। ऐसे में षडयंत्र कर मार्कशीट में छेड़छाड़ करने की आशंका जताई गई। इधर, सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने इस केस की सुनवाई करते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दी है।
प्रबंधन ने कहा- ब्लैकमेल करने के लिए लगाई थी याचिका
फैसला आने के बाद यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने कहा है कि हाईकोर्ट की टिप्पणी से स्पष्ट हो गया है कि संजीव अग्रवाल ने व्यक्तिगत लाभ लेने के लिए ब्लैकमेलिंग करते हुए जनहित याचिका लगाई थी। इस निर्णय से मैट्स यूनिवर्सिटी की छवि खराब करने का मकसद और ब्लैकमेल करने का सभी प्रयास विफल हो गया है। मैट्स यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ राज्य का प्रथम निजी विश्वविद्यालय है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास कर उनके करियर का निर्माण करना है। मैट्स यूनिवर्सिटी भारत सरकार के राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन आयोग (नैक) से बी प्लसप्लस ग्रेड प्राप्त राज्य का प्रथम निजी विश्वविद्यालय भी है। यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए षडयंत्र और कूटरचना कर मार्कशीट बनाई गई थी।
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