वन विभाग बिलासपुर की टीम ने बुधवार की सुबह पैंगोलिन शल्क के साथ झारखंड के दो तस्करों को गिरफ्तार किया है। टीम ने रणनीति के तहत ग्राहक बनकर पहले इनसे सौदा किया था। तस्कर जैसे ही झारखंड से बिलासपुर पहुंचे उन्हें बस से उतरते ही पकड़ लिया गया।
वन विभाग कानन पेंडारी जू की टीम ने बुधवार की सुबह जशपुर से बिलासपुर पहुंचने वाली बस से दो लोगों को पैंगोलिन शल्क के साथ गिरफ्तार किया है। जानकारी के अनुसार टीम के सदस्य शल्क खरीदने के लिए ग्राहक बनकर तस्करों के पास पहुंचे थे। करीब 15 दिनों से लगातार उनसे सौदा किया जा रहा था। इसके बाद 8 सितंबर की तारीख तय हुई। इसी के आधार पर दोनों आरोपी शहर पहुंचे। टीम के सदस्य और वन अफसर पहले से बस स्टैंड में ही मौजूद थे। बस से उतरते ही दोनों को गिरफ्तार कर लिया। दोनों तस्करों से करीब दो से 2.5 किलो शल्क जब्त किया गया है।
90 हजार में टीम ने किया था सौदा
आर.एफ.ओ. जितेंद्र साहू ने बताया कि पकड़े गए दोनों आरोपी झारखंड के सिमडेगा क्षेत्र के रहने वाले हैं। पहला आरोपी मुकेश साहू है जो पेशे से दूध विक्रेता है तो वहीं दूसरे का नाम दिलीप डुंगडुंग है, वह पेशे से ट्रक ड्राइवर है। टीम ने इन्हें पकड़ने के लिए ग्राहक बनकर 90 हजार रुपए में सौदा किया था। बताया गया कि बाजार में यह करीब 60 से 70 हजार रुपए किलो में बिकता है।
क्या होता है पैंगोलिन शल्क
पैंगोलिन के शरीर के उपरी भाग जो उभरा-उभरा मछली के कांटे समान होता है उसे ही शल्क कहा जाता है। पकड़े गए आरोपियों के विरुद्ध वन्य जीव हत्या एवं वन्य अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है। बहरहाल इस संबंध में वन विभाग की टीम के अलावा पकड़े गए तस्करों से भी बातचीत की गई। जिन्होंने बताया कि इन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से ग्वालियर का रहने वाले राहुल नामक शख्स ने इनसे संपर्क किया और उन्हें प्रत्येक किलो शल्क के बदले 60 हजार रुपए देने का वादा किया था। इसलिए इन्होंने झारखंड के ग्रामीणों से संपर्क कर उन्हें कुछ पैसे देने के एवज में उनसे 2 किलो शल्क लिया और उसे बेचने बिलासपुर शहर आ पहुंचे। जिसकी भनक मुखबिर के माध्यम से वन विभाग की टीम को लग गई और उन्होंने रणनीति के तहत कार्य करते हुए तस्करों को धरदबोचा।
क्यों बिकता है पैंगोलिन और उसका शल्क
ऐसा माना जाता है कि पैंगोलिन के शल्क में नपुंसकता दूर करने और यौन क्षमता बढ़ाने की विशेषता होती है। इस शल्क का उपयोग इस तरह की दवा बनाने वाली कंपनियां करती हैं। विशेषकर चीन में जो इस तरह की दवाएं बनाई जाती हैं, उसमें पैंगोलिन का शल्क प्रमुखता से इस्तेमाल होता है। भारत में भी ऐसा करने की जानकारी है, लेकिन इसके कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मिले हैं। पेंगोलिन का मांस बहुत स्वादिष्ट होता है ऐसा कहा जाता है, लिहाजा चीन में इसे ऊंची कीमत देकर भी खरीदा जाता है। इंटरनेशनल मार्केट के हिसाब से पेंगोलिन की कीमत भारतीय रुपए में 5 लाख रुपए किलो है। इसका शल्क भी 2 लाख रुपए किलो तक बिकता है।
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