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जिस एप्रोच रोड के कारण जिले के चौथे औद्योगिक क्षेत्र का विकास अटका हुआ है, उनके मालिकों का कहना है कि वे जमीन देने तैयार हैं। सीएसआईडीसी के अधिकारी पहल तो करें। वे तो जमीन के लिए उनके पास आए ही नहीं। हमें मजबूरन हाईकोर्ट जाना पड़ा। हाईकोर्ट ने चार साल पहले ही अधिग्रहण करने का फैसला सुनाया था। इसके बावजूद वे जमीन लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। वे बाकी लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं कि जमीन मालिक जमीन नहीं देना चाहते। बैठकर बात करें और नियमानुसार जो मुआवजा हैं, वह देकर जमीन ले लें और एप्रोच रोड बनाकर सेक्टर डी को चालू करें। बिलासपुर के तिफरा, सिरगिट्टी और सिलपहरी के साथ ही शहर और जिले के कई इलाकों में छोटे-बड़े करीब एक हजार उद्योग हैं। इसके बावजूद फैक्ट्रियां लगाने वाले युवा बड़ी संख्या में कतार में हैं। इन युवाओं के सपनों को साकार करने के मकसद से तिफरा में औद्योगिक क्षेत्र सेक्टर डी स्थापित करने की परिकल्पना ही नहीं हुई, सड़क, नाली, बिजली, स्ट्रीट लाइट, पानी की टंकी पर 10 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। अधिकांश लोगों की जमीन का अधिग्रहण भी किया और उन्हें मुआवजा भी दिया लेकिन फिर यह बात सामने आई कि जिस जमीन पर रायपुर रोड से सेक्टर डी को जोड़ने के लिए एप्रोच रोड बनना है, उसका अधिग्रहण ही नहीं किया गया है। तत्कालीन अधिकारियों के मुताबिक जमीन लेने के लिए उन्होंने कई प्रयास किए लेकिन जमीन मालिक जमीन देने तैयार ही नहीं हुए और उन्होंने न्यायालय की शरण ले ली। इसके बाद अधिकारियों ने इसे विवादित मामला बताते हुए पूरे प्रोजेक्ट से ही मुंह मोड़ लिया। उन्होंने प्रयास तो किया लेकिन उनमें इच्छाशक्ति की कमी रही। यही वजह है कि वर्षों बाद भी इंडस्ट्री लगाने की योजना अधूरे सपने की तरह है। इधर जमीन मालिक सुभाष जायसवाल का कहना है कि वे जमीन देने तैयार हैं लेकिन अधिकारियों ने कभी इसके लिए संपर्क ही नहीं किया। कभी पत्र व्यवहार करना भी जरूरी नहीं समझा। जमीन का अधिग्रहण नहीं किया गया। न तो अखबारों में इसके लिए इश्तहार का प्रकाशन किया गया। इधर जमीन मालिक शैलेंद्र जायसवाल का कहना है कि सबसे पहली बात तो ये है कि जमीन लेने के लिए सीएसआईडीसी ने नियमानुसार कोई प्रयास नहीं किया। पूर्व में जो सड़क बनी है, उसमें भी मेरी जमीन गई है और उसका मुआवजा मुझे मिल चुका है लेकिन एप्रोच रोड के लिए किसी भी जमीन मालिक से संपर्क नहीं किया गया। जब सीएसआईडीसी के द्वारा बगैर सूचना दिए जमीन की नापजोख की गई तो हम लोग 2016 में हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि फाइनल हियरिंग के लिए केस को रखा जाए और तब तक सीएसआईडीसी भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई कर सकती है और उसका अवार्ड (मुआवजा )पारित कर दे लेकिन किसी भी याचिकाकर्ता को उस पैसे को अभी नहीं दिया जाएगा। जमीन मालिक राजेश अग्रवाल का कहना है कि मेरी जमीन पर सड़क बन चुकी है लेकिन मुआवजा अभी नहीं मिला है।
किस-किस की जमीन आ रही
25 अगस्त 2015 को तैयार दस्तावेज के मुताबिक उद्योग विभाग को 5.88 एकड़ जमीन का आधिपत्य कर लिया था जबकि 2.87 एकड़ जमीन भू-अर्जन के लिए प्रस्तावित है। इसमें ही एप्रोच रोड बनना था। इसमें भू-अर्जन के लिए जिनकी जमीन आ रही थी, उनमें रामकिशुन पिता बिसाहूलाल, रामा रियल इस्टेट द्वारा राजीव अग्रवाल, अमर ज्योति पति हेमसिंह वर्मा, सुभाष कुमार पिता गणेश प्रसाद, शैलेंद्र जायसवाल पिता गणेश प्रसाद, शैल पति वीरेंद्र जायसवाल, वीरेंद्र जायसवाल पिता गणेश प्रसाद, अर्चना पति सुरेंद्र जायसवाल, राजेंद्र प्रसाद पिता गणेश जायसवाल शामिल हैं। हालांकि रामा रियल इस्टेट (राजीव अग्रवाल) की जमीन पर सड़क बन जाने के बाद भू-स्वामी द्वारा कही जा रही है।
दो माह पहले मैंने सर्वे किया था
"दो माह पहले मैने मौके पर जाकर सर्वे किया था। सीएसआईडीसी की तकनीकी शाखा द्वारा भू-अर्जन की कार्यवाही की जा रही है। मुझे यहां आए हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है, इसलिए इस विषय में ज्यादा जानकारी नहीं है।
- सीएके उरेती, मैनेजर सीएसआईडीसी
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