'जंगल और पेड़ों के बिना जिंदा नहीं रह सकते':नन्ही इंटरनेशनल एक्टिविस्ट लिसीप्रिया बोलीं- पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हसदेव अरण्य को बचाना जरूरी

बिलासपुर5 महीने पहले
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जंगलों की सुरक्षा से ही रोका जा सकता है जलवायु परिवर्तन।

नन्ही इंटरनेशनल एक्टिविस्ट लिसीप्रिया कंगुजम छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हसदेव बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे आंदोलन में हिस्सा लेने बिलासपुर पहुंची हैं। यहां वे पर्यावरण प्रेमियों के साथ आयोजित रैली में शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि, अब राज्य और केंद्र सरकार के झूठे वादों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पेड़ और जंगल को बचाने की इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाना होगा। इसके लिए जन समर्थन मिल रहा है, और इसके बदौलत सरकार को झुकना पड़ेगा।

तिलक नगर स्थित कोन्हेर गार्डन में हसदेव बचाओ समिति की रैली शुरू होने से पहले लिसीप्रिया कंगुजम ने दैनिक भास्कर को बताया कि आंदोलनकारियों के पास जन समर्थन है, जिसका समर्थन करने वे बिलासपुर आई हैं। लिसीप्रिया कहतीं हैं कि, भविष्य में जंगल और पेड़ नहीं रहेंगे तो हम जिंदा कैसे रह सकेंगे। पर्यावरण को लेकर उन्होंने कहा कि, यदि जंगल को काट दिया जाएगा तो मानव जाति का जीवन कैसे बचेगा। जंगलों से हमें ऑक्सीजन, पानी और जीवन जीने के लिए वो सब कुछ मिलता है, जिससे जिंदगी चलती है। जंगलों को काट कर पूरी धरती को खत्म किया जा रहा है, जिसकी खिलाफत कर वह लड़ाई लड़ रही हैं।

हसदेव अरण्य क्षेत्र को बचाने बिलासपुर में 154 दिनों से चल रहा आंदोलन।
हसदेव अरण्य क्षेत्र को बचाने बिलासपुर में 154 दिनों से चल रहा आंदोलन।

किसी एक की नहीं है यह लड़ाई
लिसीप्रिया ने कहा कि, हसदेव अरण्य को बचाने की यह लड़ाई किसी एक के लिए नहीं है। वो किसी सरकार या किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं है। बल्कि पर्यावरण को बर्बाद करने वालों के खिलाफ है। वो उनसे लड़ाई कर रही है, जो पर्यावरण और प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रहे हैं। उनकी वजह से पूरे प्रदेश, देश और दुनिया खतरे में आ गई है। लिसिप्रिया ने कहा कि, मैं हसदेव के जंगल को बचाने यहां आई हूं। जंगल इंसान ही नहीं कई लोगों का घर होता है। जानवर वहां रहते हैं। जंगल से दवाइयां मिलती है, अगर जंगल काट दिए जाएंगे तो वो कहां रहेंगे। फैक्ट्रियों में जिंदगी नहीं बनती. जिंदगी पर्यावरण और प्रकृति में है। इसे बर्बाद होने से बचाना है।

लोगों को बेघर होते नहीं देख सकती
लिसीप्रिया ने कहा कि, पर्यावरण को बचाना उनका मुख्य उद्देश्य है। कोल ब्लॉक की स्थापना से जंगल का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। यहां रहने वाले आदिवासी बेघर हो जाएंगे। वाइल्ड लाइफ का जीवन खत्म हो जाएगा। मैं यहां के लोगों को बेघर होते नहीं देख सकती।

कोन्हेर गार्डन से शहर के प्रमुख मार्गों में निकाली गई रैली।
कोन्हेर गार्डन से शहर के प्रमुख मार्गों में निकाली गई रैली।

लिसीप्रिया बोलीं- इंटरनेशनल लेवल पर उठाऊंगी आवाज
लिसीप्रिया ने कहा कि, कोल ब्लॉक के मिशन को हर हाल में रोकना है। मैं आंदोलन में सहभागिता निभाने आई हूं। मैं यहां नहीं रहूंगी, तब भी आंदोलन चलेगा और अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करती रहूंगी। स्टेट और सेंट्रल लेवल के साथ ही अब वो इस मुद्दे को लेकर इंटरनेशनल लेवल पर आवाज उठाएंगी। धरना-प्रदर्शन और रैली के साथ-साथ आंदोलन जारी रहेगा, और हम अंजाम तक पहुंचेंगे।

हसदेव अरण्य के जंगलों को बचाने की लडाई का सपोर्ट करने पहुंची इंटरनेशनल एक्टिविस्ट लिसीप्रिया।
हसदेव अरण्य के जंगलों को बचाने की लडाई का सपोर्ट करने पहुंची इंटरनेशनल एक्टिविस्ट लिसीप्रिया।

शहर के प्रमुख मार्गों में निकाली रैली
हसदेव के जंगल को बचाने के लिए बिलासपुर में 154 दिन से धरना प्रदर्शन चल रहा है। शनिवार की शाम इस आंदोलन को समर्थन देने आईं लिसीप्रिया ने पर्यावरण प्रेमियों के साथ रैली निकालकर पदयात्रा की। रैली कोन्हेर गार्डन से शुरू होकर बृहस्पतिबाजार, देवकीनंदन चौक, सदरबाजार, गोलबाजार होते हुए लालबहादुर शास्त्री स्कूल होते हुए रिवर व्यू रोड पहुंची। इसके बाद प्रताप चौक होते हुए वापस कोन्हेर गार्डन पहुंची, जहां सभा का भी आयोजन किया गया।

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