बिलासपुर के लखीराम ऑडिटोरियम में श्लोक ध्वनि फाउंडेशन की ओर से गजल संध्या अल्फाज और आवाज का आयोजन किया गया। इसमें संगीतकार राजेश सिंह ने जब भी मिलते हैं तो जीने की दुआ देते हैं,जाने किस बात की हमको वो सजा देते हैं...जैसी गजलों से दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। आयोजन में अजय सहाब ने एक से बढ़कर शेर पढ़े। जिसमें ज़िंदगी के फलसफे, सच्चाई, दार्शनिकता , नाज़ुक रिश्ते और आभासी दुनिया पर व्यंग्य को श्रोताओं ने हाथों हाथ लिया और खूब वाह वाही बटोरी।
श्लोक-ध्वनि फॉउंडेशन के डायरेक्टर श्रीकुमार और सुमित शर्मा ने बताया कि अल्फ़ाज़ और आवाज़ का आयोजन दुबई, लंदन, हैदराबाद, रायपुर, दिल्ली, मुम्बई, लखनऊ जैसे शहरों के बाद पहली बार बिलासपुर में हुआ। अजय सहाब ने कार्यक्रम में गजल-गीतों एवं सूफियाना बोलों को अपनी सुमधुर आवाज दी। प्रस्तुति की शुरूआत शाम एक भीगी सी परी, तन्हाइयों में अश्क बहाने से क्या मिला से की। फिर मैं पल दो पल दो पल का शायर हूं सुनाया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में छतीसगढ़ लोकायुक्त व जस्टिस टी पी शर्मा थे। अध्यक्षता संभागायुक्त डॉ संजय अलंग ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में अटल विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य एडीएन वाजपेयी के साथ ही पुलिस महानिरीक्षिक रतन लाल डांगी मौजूद रहे।
जगजीत सिंह व पंकज उदास ने दी है अजय सहाब की गजलों को आवाज
अजय 'सहाब' देश में उर्दू शाइरी का एक स्थापित नाम हैं। उन्होंने रिवायती और ज़दीद शायरी में अपना नया रंग घोल कर सहजता से बड़ी बात कहने में सफलता पाई है। देश के बड़े ग़ज़ल गायकों जिसमें जगजीत सिंह, पंकज उदास, भूपेंद्र सिंह, तलत अज़ीज़ जी,चंदन दास, सुदीप बैनर्जी, उस्ताद गुलाम अब्बास खान साहब, रेखा भारद्वाज ने उनकी ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दी है। वे साहिर सम्मान और the national smile award जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं।
यू टयूब में मिले करोड़ों व्यू
UP के हरदोई में जन्में राजेश सिंह ग़ज़ल गायकी में देश विदेश में तेजी से मकबूल हो रहे हैं। जहाँ उनके आवाज़ में एक ठहराव है वहीं उनमें लफ़्ज़ों की पेशगी का नाज़ुक अंदाज़ भी है। जो उन्हें इस दौर का अलहदा ग़ज़ल गायक बनाता है। उनके गाये ग़ज़लों नज़्मों को यू ट्यूब में करोड़ों की व्यू मिली है। शहरयार,निदा फ़ाज़ली,ग़ालिब, अमीर खुसरो,अहमद फ़राज़, नासिर काज़मी अजय 'सहाब'और कई शायरों के अशआर को उन्होंने संगीतबद्ध किया है।
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