पति की लंबी उम्र के लिए मनाए जाने वाला पर्व करवा चौथ बिलासपुर में उत्साह और भक्तिभाव से मनाया जा रहा है। यहां पंजाबी समाज की महिलाओं का करवा चौथ खास और अलग अंदाज में मनाया जाता है। महिलाएं यहां सामूहिक रूप से पूजा करती हैं। फिर चांद को अर्घ्य देकर निर्जला व्रत की पारणा करती हैं। गुरुवार की देर शाम सुगाहिन महिलाओं ने विशेष पूजा आराधना कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना की। समाज की महिलाओं को व्रत रखने के लिए एक दिन पहले सास के सरगी (सुहागिन सामान और मेवा) देने की भी परंपरा है।
करवा चौथ पर्व मनाने के लिए सुहागिन महिलाओं की तैयारियां एक दिन पहले से ही चल रही थी। इसके लिए मार्केट में खरीदारी करने के लिए महिलाओं की भीड़ नजर आ रही थी। शाम होने से पहले ही महिलाएं सोलह श्रृंगार कर दुल्हन की तरह सजकर पूजा की थाल सजाकर पूजा करती नजर आईं। इस दौरान करवा चौथ की कहानियां सुनकर विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई।
सास की सरगी लेकर व्रत रखने की परंपरा
करवा चौथ पर गुरुवार को पंजाबी समाज की महिलाओं ने की सामूहिक पूजा की। यहां पर महिलाओं ने करवा चौथ की कथा के साथ पूजा की थाली आपस में बांटी। थाली में दीपक, करवा, चुनरी के साथ मठरी रखी। मठरी पूजा के बाद अपनी सास को देने की परंपरा निभाई। समाज की महिला रजनी ऋषि ने बताया कि परंपरानुसार सुहागिन महिलाओं को करवा चौथ का व्रत रखने के पहले दिन सरगी (सुहागिन का सामान) देती हैं, जिसमें फेनी सहित अन्य पकवान भी रहता है। उसे खाकर ही महिलाएं व्रत शुरू करती हैं। दिन भर निर्जला व्रत रखकर शाम को थाल सजाकर सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना करती हैं। इसके बाद चंद्रदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
रोहिणी नक्षत्र में महिलाओं ने की पूजा
कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर सुहागिनों ने सर्वार्थ सिद्धि, चंद्रोदय सूर्य प्रधान रोहिणी नक्षत्र में करवा चौथ की पूजा-आराधना कर अखंड सुहाग की कामना की। रोहणी नक्षत्र शाम 6.41 बजे से शुरू हुआ। ज्योतिषियों के अनुसार रोहिणी नक्षत्र में पूजा करना लाभकारी और शुभ फलदायी मना जाता है। इस दौरान सुहागिनों के साथ करवा चौथ का व्रत कुंवारी युवतियों ने भी रखते हुए करवा चौथ की कहानी सुनी। उसके रात रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत समाप्त कीं।
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