छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में मानसून के दौरान जनभराव की समस्या आम हो गई है। इससे निपटने के लिए नगर निगम हर साल औसतन 10 करोड़ रुपए खर्च करता है। इसके अलावा शहर की सफाई के लिए हर महीने 3.50 करोड़ रुपए का भुगतान हो रहा है। बावजूद इसके शहर के गली-मोहल्लों में बारिश होने पर नाली का पानी सड़कों में आ जाता है और जलभराव वैसे का वैसा ही रहता है।
नगर निगम ने हर साल की तरह इस बार भी 85 नालों की सफाई करने का दावा किया है। वहीं, कई मोहल्लों में पानी की निकासी की समस्या दूर करने के लिए चौड़ी नाली का निर्माण भी किया जा रहा है। निगम के सुधार के दावों के बीच दैनिक भास्कर ने शहर की कॉलोनियों और मोहल्लों में पड़ताल की...
एक बार फिर मानसून ने दस्तक दी है। पहली बारिश में ही सड़कें फिर तालाब बन गईं। पुराना बस स्टैंड के साथ ही विद्यानगर, हंसा विहार, मरगपारा, मंझवापारा सहित कश्यप कॉलोनी, अज्ञेय नगर, सरकंडा के चौबे कॉलोनी, शिवम होम्स सहित ऐसे दर्जन भर से अधिक रिहायशी इलाके हैं, जहां हर साल बारिश में पानी भरने की समस्या रहती है। इन इलाकों में बारिश में पानी न भरे इसलिए, हर साल नाले का निर्माण किया जाता है, पर समस्या जस की तस बनी रहती है।
बारिश में फेल है नगर निगम की इंजीनियरिंग
राजेंद्र नगर निवासी शैलेंद्र यादव ने बताया कि बारिश में हर साल कलेक्टर बंगला के सामने, जेल रोड, छत्तीसगढ़ भवन के पीछे, पुराना बस स्टैंड, टेलीफोन एक्सचेंज रोड के कॉम्प्लेक्स, संभाग आयुक्त के बंगले के मोड़, सिम्स, कोतवाली, अज्ञेय नगर सहित रिहायशी इलाकों में नालों का पानी सड़क में आ जाता है। महज आधे घंटे की बारिश में ही शहर लबालब हो जाता है। दरअसल, निगम के अफसरों के दावे और उनकी इंजीनियरिंग बारिश में फेल है। यही वजह है कि जलभराव की समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है।
बारिश शुरू फिर भी चल रहा नाली निर्माण
कश्यप कालोनी के व्यापारी महेश मतलानी ने बताया कि पुराना बस स्टैंड में जल भराव की समस्या से निपटने कश्यप कालोनी में नाला निर्माण चल रहा है। बारिश शुरू होने के बाद भी काम अधूरा पड़ा है। इसके चलते नाली को ही रोक दिया गया है। यही वजह है कि बारिश होने पर गलियों में पानी आ रहा है। इसी तरह मगरपारा, मंगला, सरकंडा सहित कई मोहल्लों में नाली निर्माण का काम अधूरा है। मानसून के पहले ही नाली निर्माण पूरा हो जाना था, लेकिन ठेकेदारों की मनमानी के चलते अब भी काम चल रहा है। इसके चलते कई जगह नाली को रोक दिया गया है और गली में गंदा पानी बह रहा है।
नाली निर्माण में लगा दिया स्मार्ट सिटी का बजट, फिर भी दूर नहीं हुई समस्या
शहर में निकासी दुरुस्त करने के नाम पर नाला निर्माण के लिए नगर निगम ने साल 2013 से 2017 के बीच करीब 15 करोड़ रुपए खर्च किए। इसके बाद 2018 में कश्यप कालोनी से ज्वाली नाला तक मुख्य नाला निर्माण सहित 10 करोड़ का वर्क आर्डर जारी किया गया। साल 2020-21 में 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत 14 करोड़ के कार्य स्वीकृत किए गए। इस साल भी वित्त आयोग के अंतर्गत फिर से 20 करोड़ का प्रस्ताव MIC से पास कर शासन को भेजा गया है, जिसकी स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
तिफरा में 3.27 करोड़ का नाला निर्माण जारी है। स्मार्ट सिटी के अंतर्गत अग्रसेन चौक से लिंक रोड पेट्रोल पंप तक नाला निर्माण, फुटपाथ आदि पर 3.40 करोड़ खर्च किए गए। स्टार्म वाटर ड्रेनेज के नाम पर हाल ही में स्मार्ट सिटी ने 7 से अधिक स्थानों पर 10 करोड़ के नाला निर्माण के लिए वर्क आर्डर जारी किया गया। इसमें सिम्स से रिवर व्यू रोड, मेग्नेटो मॉल से लिंक रोड, सिटी कोतवाली से अरपा नदी, राजीव गांधी चौक, सीएमडी कालेज आदि के नाला शामिल हैं।
हर महीने होती है सफाई, फिर भी नालियों से निकल रहा मलबा
निगम की त्रिस्तरीय सफाई व्यवस्था में नियमित, दैनिक वेतनभोगी और ठेका कर्मियों को मिलाकर 1000 से अधिक लोगों पर हर महीने 3.50 करोड़ खर्च किए जाते हैं, जो रोज शहर से कचरा एकत्र करते हैं। इसके साथ ही निगम में 65 इंजीनियरों को 70 लाख रुपए हर महीने सैलरी दी जाती है। शासन और नगर निगम कमिश्नर के आदेश के बावजूद बारिश पूर्व सफाई नहीं हो पाई है। इसके बावजूद स्थिति यह है कि बारिश शुरू होने के बाद नालों से मलबों का ढेर निकल रहा है। ऐसे में नगर निगम की सफाई व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगा है।
निगम आयुक्त बोले- चल रही है नालों की सफाई
नगर निगम आयुक्त अजय त्रिपाठी का कहना है कि शहर की नालियों की सफाई चल रही है, जिन जगहों पर जल भराव की समस्या है, वहां इंजीनियरों को निरीक्षण कर व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए गए हैं। कई जगह नालों का निर्माण कार्य भी चल रहा है, जिसके चलते दिक्कतें हो रही होंगी। नाला निर्माण के लिए नए वर्क आर्डर भी जारी किए गए हैं। इनके पूर्ण होने से जल भराव की समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी।
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